भूमि अधिग्रहण घोटाला: बरेली में सौ करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी, कई लेखपाल-अमीन पर लटकी कार्रवाई की तलवार
बरेली, अमृत विचार: सितारगंज फोरलेन हाईवे और पश्चिमी रिंग रोड के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए मूल्यांकन में हेराफेरी कर सौ करोड़ से ज्यादा का घोटाले करने के मामले में कई लेखपाल और अमीनों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। बृहस्पतिवार को दो पीसीएस अधिकारियों के निलंबन के बाद उनके खिलाफ जल्द कार्रवाई होने की संभावना जताई जा रही है।
कमिश्नर और डीएम की ओर से कराई गई जांच में लेखपाल आशीष कुमार, मुकेश कुमार, विनय, दिनेश चंद्र, विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय के तत्कालीन अमीन अनुज वर्मा, गांव बिलहरा माफी और मुडलिया गोसू के लेखपाल मुकेश गंगवार, हेमंत डांडी के लेखपाल तेजपाल, ग्राम भैंसहा के लेखपाल ज्ञानदीप गंगवार, उगनपुर के लेखपाल मुकेश मिश्रा, अमरिया के लेखपाल विनय कुमार और दिनेश चंद्र और ग्राम हुसैन नगर एवं सरदार नगर के लेखपाल आलोक कुमार को भी दोषी पाया गया था। हालांकि इन लोगों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। बृहस्पतिवार रात दो पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद अब इनके खिलाफ भी जल्द कार्रवाई होने के आसार जताए जाने लगे हैं।
निलंबित हुए पीडब्ल्यूडी के कई इंजीनियर हाईकोर्ट से हो गए बहाल
भूमि अधिग्रहण घोटाले की पिछले साल कमिश्नर और डीएम के स्तर से कराई गई जांच में एनएचएआई के साथ पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर भी जिम्मेदार पाए गए थे। शासन को रिपोर्ट भेजने के बाद पीडब्ल्यूडी की एई स्नेहलता श्रीवास्तव, जेई राकेश कुमार, अंकित सक्सेना और सुरेंद्र सिंह व अमीन शिवशंकर को निलंबित किया गया था। तत्कालीन एक्सईएन नारायण सिंह को भी घोटाले का जिम्मेदार माना गया। हालांकि, निलंबन के खिलाफ अभियंता हाईकोर्ट चले गए थे, जहां से कई की बहाली हो चुकी है।
सितारगंज फोरलेन: सीडीओ की जांच में 21.52 करोड़ का घोटाला सामने आया था
पिछले साल अगस्त में सितारगंज फोरलेन हाईवे की भूमि के मूल्यांकन के घोटाले की जांच सीडीओ जग प्रवेश की अध्यक्षता वाली कमेटी ने की थी। कमेटी ने जो जांच रिपोर्ट डीएम रविंद्र कुमार को सौंपी थी, उसमें सितारगंज और रिंग रोड की दोनों परियोजनाओं में 21 करोड़ 52 लाख 91 हजार 983 रुपये का घोटाला बताया गया था। इसमें 14 करोड़ 42 लाख 73 हजार 131 रुपये की राजस्व क्षति भू उपयोग बदलने से होना बताई गई थी, जबकि 7 करोड़ 10 लाख 18 हजार 852 रुपये का नुकसान जमीन और स्ट्रक्चर का ज्यादा मूल्यांकन कर मुआवजा बांटने से हुआ था।
सितारगंज हाईवे परियोजना में सदर और नवाबगंज तहसील क्षेत्र में जानबूझकर भूउपयोग बदलने जाने से 11 करोड़ 13 लाख 60 हजार 466 रुपये की राजस्व क्षति हुई थी। जमीन और परिसंपत्ति का गलत मूल्यांकन कर 1 करोड़ 68 लाख 87 हजार 384 रुपये ज्यादा का मुआवजा बांटा था। पश्चिमी रिंग रोड परियोजना में 8 करोड़ 70 लाख 44 हजार 133 रुपये का कुल गाेलमाल हुआ था। इसमें जमीन और परिसंपत्ति का गलत मूल्यांकन कर 5 करोड़ 41 लाख 31 हजार 468 रुपये अधिक का मुआवजा तय किया था, साथ ही जानबूझकर भू उपयोग बदलने से 3 करोड़ 29 लाख 12 हजार 665 रुपये की राजस्व क्षति हुई थी।
सीडीओ की कमेटी ने इन्हें दोषी पाया था
सीडीओ की जांच रिपोर्ट के अनुसार एनएचएआई की नोडल एजेंसी एसए इन्फ्रास्ट्रक्चर कंसलटेंसी लिमिटेड, सांई सिस्ट्रा ग्रुप, इंजीनियर रविंद्र गंगवार (वैल्यूअर) और एनएचएआई के साइट इंजीनियर गलत मूल्यांकन रिपाेर्ट तैयार करने के दोषी मिले थे। पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड के 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए अधिशासी अभियंता नारायण सिंह, सहायक अभियंता स्नेहलता श्रीवास्तव, अवर अभियंता राकेश कुमार, अंकित सक्सेना और अमीन शिव शंकर को गलत सत्यापन करने के लिए दोषी माना था।
नवाबगंज तहसील के तत्कालीन लेखपाल सुरेश सक्सेना, सदर तहसील के लेखपाल उमाशंकर, विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय के तत्कालीन अमीन डंबर सिंह और पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड के तत्कालीन जेई सुरेंद्र सिंह को भी घोटाले का जिम्मेदार बताया था। मौजूदा विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एडीएम न्यायिक) आशीष कुमार और तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ( अब एडीएम) मदन कुमार को पूरे मामले में शिथिलता और लापरवाही बरतने के साथ प्रकरण का ठीक से परीक्षण न करने का दोषी माना गया था।
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