सीवीसी ने पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल के बंगले की जांच के दिए आदेश, जानिए क्या बोली भाजपा

नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीएम रहते हुए जिस बंगले में रहते थे उसके जीर्णोद्धार में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग ( सीवीसी) ने जांच के आदेश दिए हैं। यह आदेश केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है।
सीपीडब्ल्यूडी के इस रिपोर्ट में दिल्ली के सिविल लाइन्स में 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार में अनियमितता का आरोप लगा है। उल्लेखनीय है कि इस बंगले को लेकर भाजपा ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान इसे “शीश महल” का नाम देकर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर हमले किए थे।
ग़ौरतलब है कि भाजपा के नेता विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में शिकायत देकर आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने लगभग आठ एकड़ में बने बंगले का पुनर्निर्माण करते समय नियमों का उल्लंघन किया। उन्होंने दावा किया था कि इसके निर्माण में कई प्रकार की गड़बड़ी हुई है।
शीशमहल का विस्तार किए जाने के आरोपों की जांच होगी: भाजपा
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग को 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगले के विस्तार के लिए संपत्तियों के कथित विलय और इसके अंदरूनी हिस्से पर हुए खर्च की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विजेंद्र गुप्ता ने शनिवार को यह बात कही।
भाजपा ने कथित भ्रष्टाचार के कारण इस बंगले को ‘‘शीशमहल’’ करार दिया है। इसमें अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में 2015 से पिछले साल अक्टूबर के पहले सप्ताह तक रहे थे। इस मामले पर आम आदमी पार्टी (आप) या इसके संयोजक केजरीवाल ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने उनकी दो पूर्व शिकायतों का संज्ञान लिया और लोक निर्माण विभाग से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी, जिसके आधार पर अब विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया गया है। रोहिणी से नवनिर्वाचित भाजपा विधायक ने सीवीसी को दी गई अपनी पहली शिकायत में आरोप लगाया कि केजरीवाल ने 40,000 वर्ग गज (आठ एकड़) भूमि पर एक भव्य ‘‘महल’’ का निर्माण करने के लिए भवन नियमों का उल्लंघन किया।
गुप्ता ने आरोप लगाया कि राजपुर रोड पर भूखंड संख्या 45 और 47 (पहले टाइप-वी फ्लैट में वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायाधीशों के आवास थे) तथा दो बंगलों (8-ए और 8-बी, फ्लैग स्टाफ रोड) सहित सरकारी संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया और नए आवास में मिला दिया गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान मानदंडों का उल्लंघन किया गया और उचित अनुमोदन नहीं लिया गया।
गुप्ता ने अपनी दूसरी शिकायत में 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले की मरम्मत और आंतरिक साज-सज्जा पर ‘‘जरूरत से अधिक खर्च’’ किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने बंगले में आलीशान सुविधाओं पर करदाताओं के करोड़ों रुपये खर्च किए जाने और ‘‘बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं’’ का भी आरोप लगाया।
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