Marriage Act: तलाक की अर्जी पर नया नियम, विवाह के बाद एक साल तक नहीं दे सकते Divorce

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचारः आज के समय में विवाह को निभाना एक कठिन चुनौती बन गया है। जीवनशैली में बदलाव, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और व्यस्त दिनचर्या के कारण आपसी तालमेल बिठाना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में विवाह जैसे रिश्ते को बनाए रखने के लिए धैर्य, समझदारी और सहयोग बेहद आवश्यक हो गया है।

पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता अनुराग ने बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार विवाह के एक वर्ष के भीतर तलाक की याचिका दायर नहीं की जा सकती, सिवाय विशेष परिस्थितियों के, जिनमें अत्यधिक कठिनाई या असाधारण मामले शामिल हों। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि विवाह का उद्देश्य केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी एकत्रित होना है। इसलिए विवाह को इतनी जल्दी समाप्त करने की अनुमति देना विवाह की पवित्रता और सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

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इस महत्वपूर्ण फैसले के माध्यम से न्यायालय ने यह सशक्त संदेश दिया है कि पति-पत्नी को अपने वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए समय और अवसर दिया जाना चाहिए। विवाह जैसे महत्वपूर्ण रिश्ते को खत्म करने से पहले हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि दोनों पक्षों के बीच सुलह की संभावनाएं तलाशी जा सकें।

पारिवारिक न्यायालय की अधिवक्ता निधि सिंह ने बताया कि यह प्रशंसनीय निर्णय न केवल हिंदू विवाह अधिनियम की मूल मंशा को स्पष्ट करता है बल्कि समाज में विवाह की गरिमा को बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय विवाह की गंभीरता और सामाजिक स्थिरता को बनाए रखने के प्रति न्यायालय के दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस फैसले के माध्यम से न्यायालय ने यह संदेश दिया है कि पति-पत्नी को अपने वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए समय और अवसर दिया जाना चाहिए। विवाह जैसे महत्वपूर्ण रिश्ते को खत्म करने से पहले हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि दोनों पक्षों के बीच सुलह की संभावनाएं तलाशी जा सकें।

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