दिवालियापन संबंधी आदेश के खिलाफ विजय माल्या की याचिका लंदन उच्च न्यायालय में लौटी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

लंदन। कारोबारी विजय माल्या पर तीन साल पहले इंग्लैंड के उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए दिवालियापन संबंधी आदेश को पलटने के प्रयास के तहत दायर याचिका इस सप्ताह लंदन में अपीलीय अदालत में सुनवाई के लिए वापस आई। लंदन के ‘चांसरी डिवीजन’ में बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एंथनी मान ने माल्या की स्थगन याचिका के खिलाफ फैसला सुनाया।

माल्या अदालत में उपस्थित नहीं हुए और उनका प्रतिनिधित्व ‘जैवाला एंड कंपनी’ के वकीलों कार्तिक मित्तल और मार्क वाटसन-गैंडी ने किया था। इसके बाद न्यायाधीश ने 69 वर्षीय व्यवसायी से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की। माल्या भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों में वांछित हैं। इस सप्ताह की अपीलें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के एक संघ से संबंधित हैं, जो अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस पर बकाया लगभग 1.05 अरब पाउंड के अनुमानित ऋण की अदायगी की मांग कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति मान ने कहा, ‘‘भारतीय कार्यवाही के परिणाम आने तक मामले को स्थगित करने का मुझे कोई उचित कारण नहीं दिखता।’’ उन्होंने कहा कि अपील पर काफी समय पहले ही ‘‘बर्बाद’’ हो चुका है। उन्होंने मामले में नए साक्ष्य पेश करने के माल्या के प्रयास को भी अप्रासंगिक बताकर खारिज कर दिया, जिसमें पिछले वर्ष दिसंबर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में यह कहा जाना भी शामिल था कि माल्या की संपत्ति से संबंधित 14,131 करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को वापस कर दिए गए हैं।

न्यायमूर्ति मान मुख्य दिवाला एवं कंपनी न्यायालय (आईसीसी) के न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स के निर्णय से संबंधित अपीलों पर सुनवाई कर रहे हैं। यह निर्णय लगभग छह वर्ष पहले माल्या के खिलाफ बैंकों द्वारा शुरू की गई दिवालियापन कार्यवाही के संदर्भ में दिया गया था।

यह भी पढ़ें:-Delhi CM Oath Ceremony: मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के लिए 25,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात

संबंधित समाचार