डेंगू ही नहीं 20 तरह के वायरस कम करते हैं प्लेटलेट्स
लखनऊ, अमृत विचार: अमूमन लोगों को यही जानकारी है कि डेंगू से ग्रसित मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम होता है। इसका स्तर गिरने से मरीज की मौत हो सकती है, लेकिन डेंगू के आलावा भी इबोला, मारबर्ग, केएफडी सहित 20 तरह के वायरस हैं जिनमें प्लेटलेट्स कम हो सकता है। प्लेटलेट्स कम होने पर रक्तस्राव की आशंका भी हो सकती है। अगर किसी भी व्यक्ति में प्लेटलेट्स कम हो और जांच में डेंगू का संक्रमण न निकला हो तो तुरंत दूसरे वायरस के संक्रमण का परीक्षण कराना चाहिए। यह जानकारी किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की डीन और माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. अमिता जैन ने साझा की। वह सोमवार को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) माइक्रोबायोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित हुई कार्यशाला को संबोधित कर रहीं थीं।
वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (वीआरडीएल), माइक्रोबायोलॉजी विभाग 24 से 28 फरवरी तक डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी: मौलिक प्रयोगशाला तकनीक और अभ्यास पर एक व्यावहारिक राष्ट्रीय कार्यशाला का पांच दिवसीय आयोजन कर रहा है। पहले दिन सोमवार की कार्यशाला की शुरुआत क्लिनिकलइम्यूनोलॉजी की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल ने किया। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से आउट ब्रेक डाटा के आधार पर आगे आने वाले वायरल आउट ब्रेक का अंदाजा लगाना आसान हो गया है। इसकी मदद से वायरस से निपटने की तैयारी की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने इसी आधार पर अनुमान लगाया है कि अगला संक्रमण भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला वायरस अटैक हो सकता है।
भीड़भाड़ में मास्क का करें इस्तेमाल
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो. रुग्मी एस के मारक और प्रो. अतुल गर्ग ने बताया वायरस से बचाव के लिए हाथों को साबुन से धोना चाहिए, खांसते और छींकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्यू पेपर से ढककर रखना चाहिए। यही नहीं जिन व्यक्तियों में कोल्ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे उचित दूरी बनाकर रखें और भीड़-भाड़ में मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। हाथ की सफाई पर हमेशा ध्यान रखें क्योंकि कभी भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले वायरस का हमला हो सकता है।
वायरस के संक्रमण पता लगाने को पहली बार आयोजित हुई कार्यशाला
प्रो अतुल गर्ग ने बताया कि पहली बार वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए परीक्षण तकनीक के विस्तार के लिए पहली बार ऐसी अत्याधुनिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वायरस कल्चर से जीन सिक्वेंसिंग तक सिखाया जाएगा। कार्यशाला के लिए 200 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन देश के हर कोने से 20 लोगों को चयनित किया। कार्यक्रम में लोहिया संस्थान की डॉ. ज्योत्स्ना अग्रवाल, पीजीआई की डॉ. प्रेरणा कपूर ने दो या अधिक बीमारियों के सह-अस्तित्व और मलेरिया एवं टाइफाइड जैसी आम बीमारियों के बारे में जानकारी दी। वहीं न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो वीके पालीवाल ने वायरल इंसेफेलाइटिस के बारे में जानकारी साझा की। डॉ. मोहन गुर्जर ने आईसीयू रोगियों में साइटोमेगालोवायरस संक्रमण और इसके पुनः सक्रिय होने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया।
