Kanpur: करौली शंकर महादेव धाम में ‘शिव महिमा कथा’ का आयोजन, बड़ी संख्या में पहुंचे शिवभक्त, भजनों से हुए सभी मंत्रमुग्ध

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर करौली शंकर महादेव धाम में 24 फरवरी 2025 से 27 फरवरी 2025 तक ‘शिव महिमा कथा’ का दिव्य और भव्य आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचिका देवी सात्विका ‘राधा रमण’ जी के श्रीमुख से निसृत 4 दिवसीय शिव महिमा कथा का आयोजन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक हो रहा है। शिव महिमा कथा के द्वितीय दिवस पर कथा का श्रवण करने के लिए श्री करौली शंकर महादेव धाम में शिव भक्तों की अपार भीड़ पहुंची।

सर्वप्रथम भगवान शंकर की आरती के साथ देवी सात्विका राधा रमण जी ने करौली शंकर महादेव के जयकारों एवं गणेश स्तुति के साथ शिव कथा की शुरुआत की। तत्पश्चात उन्होंने श्री राम जय राम जय जय राम भजन का गायन किया, जिसको सुन प्रांगण में बैठे समस्त भक्त ताली बजाते मंत्रमुग्ध दिखाइए दिए। देवी सात्विका राधा रमण जी ने कहा कि सब का मूल शिव है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम महादेव का स्मरण करते हैं और महादेव ही श्री राम के आराध्या है और महादेव के आराध्य श्री राम है, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

देवी सात्विका राधा रमण जी ने कहा कि राम और रावण में अंतर था राम दूसरों के लिए जीते थे रावण स्वयं के जीता था। इंसान संसार अपने कर्म से जाना जाता है ना की जाति से। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा जी ने सबसे पहले अज्ञान को ही जन्म दिया। इसीलिए हमें अज्ञानता बड़ी जल्दी समझ में आती है। उन्होंने कहा इसीलिए हमें अच्छे लोगों का संग करना चाहिए। हमारा साथ ही बताता है कि हम कैसे हैं। उन्होंने कहा कि जब अकेले रहो तो प्रभु से बात करो, किसी के साथ रहो तो प्रभु की बात करो।

ये एक भक्त का लक्षण होता है। उन्होंने चंचुला की कथा को भी भक्तों को श्रवण कराया। ततपश्चात उन्होंने 'जिसको जीवन में मिला सत्संग है,उसको हर घडी आनंद है' भजन गाकर। सत्संग से मिलने वाले आनंद के बारे में भक्तों को समझाया। ओम नमः शिवाय के जय-जयकारों से पूरा प्रांगण गूंज उठा। उन्होंने कहा कि किसी भी इंसान से कोई भी रिश्ता शक्ल और पैसे देखकर नहीं रखना चाहिए। ज़ब उन्होंने 'मेरा शंकर प्यार,भोला भाला' भजन सुनाया तो प्रांगण में बैठे भक्त झूम उठे। उन्होंने सती चरित्र की कथा को भक्तो को श्रवण करवाया। उन्होंने कहा कि शिव आत्मा का रूपांतरण करते हैं। सिर्फ शरीर नष्ट होता है आत्मा वही होती है। प्रभु सभी पर समान कृपा करते है। देवी जी के श्रीमुख से कथा और भजनों को सुनकर शिव भक्त भाव-विभोर दिखे। भगवान शंकर की आरती के साथ द्वितीय दिवस की कथा को विश्राम दिया गया।

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