एसटीएच रक्त के लिए बेस अस्पताल पर निर्भर
हल्द्वानी, अमृत विचार: कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल रक्त के लिए सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल पर निर्भर होता जा रहा है। प्रतिदिन से सात से 10 यूनिट रक्त बेस अस्पताल से एसटीएच को भेजा रहा है जबकि बेस अस्पताल में भी रक्त की कमी है।
बेस अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त की कमी बरकरार है। खासतौर से यहां निगेटिव ग्रुप के रक्त की कमी का संकट चल रहा है। अस्पताल के ब्लड बैंक से जानकारी मिली कि ओ पॉजिटिव ग्रुप का रक्त तो उपलब्ध रहता है। अभी ब्लड बैंक में 37 यूनिट ओ पॉजिटिव ब्लड है। इसके बाद सबसे ज्यादा संख्या बी पॉजिटिव ग्रुप की 24 है। तीसरे नंबर पर एबी प्लस ग्रुप है और इसकी संख्या 11 है।
दिक्कत ए पॉजिटिव ग्रुप की भी है। इसकी केवल दो ही यूनिट ब्लड बैंक में है। एक निगेटिव की चार और एबी निगेटिव ग्रुप की एक यूनिट रक्त ही उपलब्ध है। ओ निगेटिव और बी निगेटिव ब्लड तो अस्तपाल में है ही नहीं। इसके साथ ही समस्या तब और भी बढ़ जाती है जब एसटीएच से रक्त मंगाया जाता है। प्रतिदिन से सात से 10 यूनिट रक्त एसटीएच में भेजा जाता है। इधर एसटीएच में भी रक्त की कमी है। बेस अस्पताल के पीएमएस डॉ. केके पांडे ने बताया कि हम लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जितनी जरूरत है उसके हिसाब से ज्यादा से ज्यादा ब्लड डोनेट होना चाहिए।
प्राइवेट ब्लड बैंक की वजह से पीछे
हल्द्वानी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार शहर में ब्लड डोनेशन कैंप तो आयोजित किए जा रहे हैं लेकिन उसमें ज्यादातर सहभागिता सरकारी ब्लड बैंक की न होकर प्राइवेट ब्लड बैंक की हो रही है। जिस वजह से सरकारी अस्पतालों में रक्त की दिक्कत हो रही है और जरूरत मंद लोगों को रक्त देने में दिक्कत हो जाती है।
थैलेसीमिया और एनीमिया रोगियों को रक्त निशुल्क
हल्द्वानी। यह दोनों ही बीमारियां शरीर में रक्त की कमी से जुड़ी हैं। बेस अस्पताल में ही इन बीमारियों के करीब 100 मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें ऊधमसिंह नगर के मरीज भी शामिल हैं। इन मरीजों को बेस अस्पताल से निशुल्क रक्त उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि नियम तो यह है कि अगर यह मरीज प्राइवेट ब्लड बैंक जाएं तो वहां से भी इन्हें निशुल्क रक्त दिया जाएगा लेकिन प्राइवेट ब्लड बैंक की ओर से इन मरीजों को रक्त दिए जाने के मामले कम ही देखने को मिलते हैं।
रक्त की उम्र 42 दिन, प्लाज्मा की एक साल
हल्द्वानी। अगर कोई वक्त रक्तदान करता है तो रक्त की उम्र 42 दिन तक होती है। उसे सही से सुरक्षित करके इतने दिनों तक रखा जा सकता है। जब किसी व्यक्ति को रक्त की जरूरत होती है तो उसी ब्लड ग्रुप का रक्त चढ़ाकर उसकी जान बचाई जाती है। इसके साथ ही रक्त के अंदर प्लेटलेट्स भी होती है। जब किसी मरीज को डेंगू या चिकनगुनिया हो जाता है तो उसकी प्लेटलेट्स तेजी के साथ गिरती है और निश्चित संख्या कम होने पर उसकी मृत्यु तक हो जाती है। रक्त से प्लेटलेट्स निकालकर चढ़ाई जाती है और मरीज की जान बचाई जाती है। इसी तरह रक्त में प्लाज्मा भी होता है जो एक तरह से एंटी बॉडी होता है। कोविड से ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा दूसरे बीमार व्यक्तियों को चढ़ाया गया था। प्लाज्मा की उम्र एक साल तक होती है।
