Prayagraj : सरकारी मंत्रालय द्वारा स्थापित नियमों का अनुपालन करने से निजी कंपनियां 'राज्य' के अंतर्गत मान्य नहीं

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Published By Vinay Shukla
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Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत राज्य की परिभाषा के अंतर्गत आने वाली कंपनियों के संबंध में कहा कि कोई कंपनी केवल विभिन्न मंत्रालयों और सार्वजनिक विनियामकों द्वारा स्थापित नियमों का अनुपालन करने से ही अनुच्छेद 12 में वर्णित 'राज्य' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आ जाती है।

वर्तमान मामले के अनुसार नायरा एनर्जी (पूर्व में एस्सार ऑयल लिमिटेड) आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी सरकारी कंपनियों से अलग है, क्योंकि ये सरकारी कंपनियां भारत सरकार के कार्यात्मक, वित्तीय और प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम करती हैं, जबकि नायरा एनर्जी स्वतंत्र रूप से काम करती है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति शेखर बी.सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने मेसर्स मनोज पेट्रोलियम एवं अन्य की याचिका को खारिज करते हुए की। कोर्ट ने याची के इस तर्क को खारिज किया कि पेट्रोलियम उत्पाद ज्वलनशील उत्पाद है।

इनकी बिक्री संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 1 की प्रविष्टि 52 और 53 के अंतर्गत आती है, इसलिए इस क्षेत्र में व्यापार करने वाली नायरा एनर्जी कंपनी भी अनुच्छेद 12 के तहत राज्य की परिभाषा में आएगी। कोर्ट ने एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया कि सातवीं अनुसूची की सूची 1 में प्रविष्टि 45 के अंतर्गत 'बैंकिंग' शामिल होने से सभी निजी बैंक अनुच्छेद 12 के तहत राज्य की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आ जाते। मौजूदा मामले में कोर्ट ने माना कि याची और नायरा एनर्जी के बीच संबंध संविदात्मक प्रकृति के थे, जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए पेट्रोलियम और डीजल उत्पादों की बिक्री हेतु एक फ्रेंचाइजी समझौते के माध्यम से बनाए गए थे।

नायरा एनर्जी को निजी फर्मो को फ्रेंचाइजी वितरित करने के लिए एक एजेंट के रूप में नियुक्त किया गया था, जिनमें से एक याची भी है। अतः इसे न तो किसी कानून के तहत बनाया गया है और न ही सरकार वित्तीय या प्रशासनिक रूप से इसे नियंत्रित करती है। अंत में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि एक निजी कंपनी होने के नाते याची और नायरा एनर्जी के बीच संविदात्मक संबंध किसी सार्वजनिक कानून से शासित नहीं होता है और इस कारण मामला सुनवाई योग्य नहीं है।

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