हर्षोल्लास से मना फूलदेई का पर्व, छोटे बच्चों ने घर-घर जाकर डाले फूल

Amrit Vichar Network
Published By Pawan Singh Kunwar
On

रामनगर, अमृत विचार : उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक लोकपर्व फूलदेई हर साल चैत्र माह के पहले दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ  मनाया गया। कुमाऊं में इसे फूलदेई और गढ़वाल में फूल संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह पर्व खासकर बच्चों के लिए बेहद उत्साहजनक होता है, जहां वे घर-घर जाकर फूल चढ़ाते हैं और मंगलकामना करते हैं। छोटे बच्चो ने सुबह होते ही आसपास के क्षेत्रों में और बागों में जाकर रंग-बिरंगे फूल बीने। फिर पूरे गांव में घूमकर हर घर की दहलीज पर फूल बिखरे। ग्रह स्वामियों ने उन्हें उपहार में गुड़, चावल और पैसे भी दिए। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य प्रकृति प्रेम और समाज में आपसी सौहार्द को बढ़ावा देना है। 


वहीं स्थानीय निवासी गणेश रावत कहते है कि फूलदेई हमारी परंपरा का अहम हिस्सा है, यह बच्चों को प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है और उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदार बनाता है। यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक विरासत है, जिसे संजोकर रखना बहुत जरूरी है। इस बार फूलदेई का संयोग होली के साथ हुआ, जिससे पर्व की रंगीनियत और भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक दौर में जब नई पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति की ओर बढ़ रही है, ऐसे में लोकपर्वों को संजोकर रखना बेहद जरूरी हो जाता है।

 फूलदेई जैसे त्योहार हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं, और आने वाली पीढ़ी को प्रकृति तथा संस्कृति का महत्व समझाने का काम करते हैं। जानकारों का कहना है कि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़े रहें, फूलदेई सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है।

संबंधित समाचार

टॉप न्यूज