लखीमपुर: मुफलिसी में बीता बचपन, कुछ अलग करने की सोच से मुनीर ने भरी सपनों की उड़ान, पहुंचे सात समंदर पार

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Published By Vikas Babu
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लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: कुछ अलग सोचने की क्षमता और फिर उसे पूरा करने के लिए की गई कठिन मेहनत एक न एक दिन कामयाबी अवश्य दिलाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, जिले के गांव गौरिया निवासी 28 वर्षीय मुनीर खान ने। जो सात समंदर पार अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कैंसर के इलाज के लिए सेंसर टेक्नोलॉजी पर रिसर्च कर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

मुनीर खान को इस रिसर्च के लिए 22 मार्च को लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में यंग इनोवेटर ऑफ द ईयर-2025 का पुरस्कार मिला है। अलग हट कर सोचने की क्षमता ने ही मुनीर को सात समंदर पार पहुंचाया है। हालांकि मुनीर का बचपन बहुत ही मुफलिसी में बीता।

…और जब मुनीर के लिए भाई ने स्कूल से मोड़ा मुंह
मुनीर खान के बड़े भाई सलीम बताते हैं कि पिता की जब मौत हुई थी तो उस समय वह 14-15 साल के तो मुनीर करीब एक साल का था। भाई बहनों को दो वक्त की रोटी मुहैया कराने के लिए पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करनी शुरू की। कक्षा पांच में मुनीर ने थर्माकोल की झोपड़ी बनाई थी, जिसकी तत्कालीन डीएम ने प्रशंसा की और शिक्षकों से अच्छे स्कूल में दाखिला कराने के लिए कहा।

मुनीर ने आठवां गोला से और इसके बाद की पढ़ाई लखीमपुर से की। मुनीर की प्रतिभा को देखकर उन्होंने उसकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। मुनीर ने भी अमेरिका पहुंचकर हमारी मेहनत का फल दिया है वह अनमोल है। मां जाफरी बेगम बताती है कि मुनीर अमेरिका पहुंचेगा यह सपने मेंभी नहीं सोचा था। मुनीर ने सात समंदर पार जाकर घर परिवार और रिश्तेदारों में सिर ऊंचा कर दिया है।

मुनीर खान की उपलब्धियां
मुनीर को बचपन से ही कुछ अलग करने की सोच थी। इसी के चलते कूड़े से बिजली बनाने का मॉडल तैयार करने पर 23 फरवरी 2013 को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने युवा वैज्ञानिक अवार्ड दिया। वर्ष 2015 में लखनऊ में युवा महोत्सव में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने युवा रत्न से सम्मानित किया। केरल में ज्ञान स्कॉलर अवार्ड के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की ओर से अमेरिका से आए प्रोफेसर डॉ. के सुमिथा ने वर्ष 2016 में सम्मानित किया। 

नैनीताल के बिड़ला इंस्टीट्यूट सें इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग से बीटेक करने के दौरान पानी की गुणवत्ता मापने के लिए वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग एवं मृदा परीक्षण के लिए डिवाइस बनाकर पुरस्कार पाया। मृदा परीक्षण डिवाइस बनाने पर छह सदस्यीय टीम को 15 लाख की स्कॉलरशिप मिली। गूगल की नौकरी छोड़ कर मुनीर ने पीएचडी के लिए अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेकर नेत्रहीनों के लिए विजन-प्रो चश्मा बनाया, जिसकी जापान से आए वैज्ञानिकों ने सराहा। जबकि 22 मार्च को कैंसर के इलाज के लिए सेंसर टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करने के लिए लंदन में यंग इनोवेटर ऑफ द ईयर का अवार्ड मिला।

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