World Autism Awareness Day: विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस क्यों हैं खास, जानिए न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का क्या हैं इलाज
अमृत विचार। हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह एक ऐसी न्यूरोलोजियकल बीमारी है जिसमें इसके लक्षण बचपन से ही दिखने लगते हैं। इसमें एक व्यक्ति को काम सीखने, communication करने और किसी काम को करने की क्षमता कम होने जैसे लक्षण पाए जाते हैं। ऑटिज्म किसी कारण नहीं होता है लेकिन यह बीमारी जेनेटिक होती है। इसमें बच्चे और वयस्क लोग अलग अलग तरीके से सोचते है और अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। उनका व्यवहार सामान्य बच्चो से अलग होती है।
ऑटिज्म से ग्रसित लोगों के लक्षण
-सामाजिक परेशानिया-जैसे दूसरों से बातचीत करना, आखों से आंखे मिलाकर बात करना, अपनी भावनाओं को व्यक्त करना।
-बात करने में दिक्कत- देर से बोलना सीखना, एक ही बात को बार-बार दोहराना, बात समझने में दिक्कत।
-दोहरावपूर्ण व्यवहार-एक ही काम को बार बार करना या दोहराना, हद से ज्यादा रूटीन को फॉलो करना।
-सवेदनशील बातों में कमजोर- लाइट, आवाज़, किसी का छूना या फिर किसी प्रकार की खुशबू को न पहचान पाना।
-किसी काम में ज्यादा ध्यान देना- इस तरह के लोग किसी असामान्य कामों में अत्यधिक रूचि लेते हैं।
बता दें कि दुनियाभर में 6.18 करोड़ लोग ऑटिज्म से ग्रसित हैं। वहीं पुरुषो में ऑटिस्म के समस्या महिलाओं के मुकाबले ज्यादा पायी जाती है। यानि हर 127वा व्यक्ति इससे पीड़ित हैं। अगर भारत कि बात करें तो यहां ये संख्या 1.8 करोड़ की है।
ऑटिस्म से प्रभावित लोग समाज से अलग नहीं होते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा भी इस दिन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए संगठनों, सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति और केयर करने का दिन हैं ताकि वे खुद को इस समाज से अलग थलग न महसूस कर सके। और उन्हें बाकियो जैसे सामान अवसर मिल सकें।
ऑटिस्म से ग्रसित लोगों के पास विशेष योग्यता होती हैं। समाज में भ्रांतिया व्याप्त है जिसे दूर करना आवश्यक हैं। ऑटिस्म से पीड़ित बच्चो को विशेष शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं मिलनी चाहिए। जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। हर 100 में से 1 बच्चा ऑटिस्म से पीड़ित हैं अगर शुरुआत में ही इसका पता लग जाये तो इसकी सही थेरेपी से बच्चों में सामाजिक और संचार में सुधार किया जा सकता है। इससे प्रभावित लोगों में कुछ खास प्रकार के गुण होते हैं जैसे संगीत, कला या फिर गणित में बहुत ज्यादा अच्छा होना।
ऑटिस्म बच्चो को समझना और सही तरीके से टैकल करना बेहद जरुरी होता है। इसके बारे में बच्चो के पैरेंट को ये समझना होगा कि आखिर इस तरह के लोगों को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। ऑटिस्म बच्चे स्पेशल होते हैं तो इनके साथ समझदारी से हैंडल करना होता है। आप उनसे ज्यादा चिल्लाकर बात नहीं कर सकते हैं।
क्या है इस साल की थीम
ऑटिस्म को हर साल 2 अप्रैल को मनाया जाता है। इसकी एक थीम तय की जाती है। वहीं, इस साल विश्व ऑटिस्म जागरूकता दिवस की थीम 'न्यूरोडायवर्सिटी को आगे बढ़ाना और संयुक्त सतत विकास लक्ष्यों SDGs के साथ समन्वय' Advancing Neurodiversity and the UN Sustainable Development Goals रखी गयी है।
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