पढ़ाई की कोई उम्र नहीं... बैग लेकर स्कूल पहुंचे बुजुर्ग, CSU में कर रहे पढ़ाई

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की कक्षाओं में युवा ही नहीं आपको वरिष्ठ नागरिक भी मिलेंगे। यहां के कई विषयों की कक्षाएं किसी परिवार के सदस्यों की बैठक लगती है जिसमें युवा से लेकर वरिष्ठ नागरिक भी आपस में चर्चा करते दिखाई देते हैं। ऐसे वरिष्ठ छात्रों की आयु 65 से 70-72 साल की है जो सेवानिवृत्ति के बाद स्कूल बैग उठा लिए और पहुंच गए अपनी मनपसंद पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करने। ऐसे छात्र योग, विपश्यना, संस्कृत, पाली और धर्म संस्कृति सीखने आ रहे हैं। इनमें से कई ऐसे बुजुर्ग हैं जो पढ़ाई करके जीवन की नई पारी शुरू करना चाहते हैं।

राजधानी लखनऊ के गोमती नगर के विशाल खंड में स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में 4 वर्ष पूर्व पाली भाषा में परास्नातक का पाठ्यक्रम आरंभ किया गया था। पाली भाषा को संस्कृत का करीबी माना जाता है, यह दुनिया के उन देशों में अधिक लोकप्रिय है जहां बौद्ध धर्म का प्रभाव है। संस्कृत विश्वविद्यालय को इसके लिए छात्र ढूंढने पड़ते थे लेकिन मजे की बात यह कि अब पाली की कक्षा में युवा से अधिक बुजुर्ग रुचि लेने लगे हैं। जिसमें वह शांति व ज्ञान के मार्ग को जानने के लिए भगवान बुद्ध पर लिखी गई किताबें वह ग्रंथ को पढ़ने के लिए पाली सीख रहे हैं। यहां पर मास्टर इन पाली में पढ़ने वाले लोगों में सेवानिवृत्त बैंक कर्मी, बीएसएनएल कर्मचारी, रेलवे कर्मचारी, आरडीएसओ और विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत रहे लोग छात्र हैं।

दुनिया के कई देशों में बोली जाती है पाली

पाली भारत की प्राचीन भाषाओं में मानी जाती है जो संस्कृत से काफी मिलती जुलती है। यह थेरवाद के भी काफी निकट है जो बौद्ध धर्म की भाषा है। प्राकृत भाषा पाली में अनेक शिलालेख मिलते हैं, अशोक स्तंभ की भाषा भी पाली है। यह म्यामार, थाईलैण्ड, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम जैसे देशों में लोकप्रिय है।

जब पाठ्यक्रम की शुरूआत की गई थी तब उम्मीद युवाओं से प्रवेश लेने की उम्मीद थी, लेकिन अब युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग सेवानिवृत्ति के बाद यहां की कक्षाओं में आ रहे हैं। जिस तरह से बुजुर्ग इस भाषा के प्रति उत्साह दिखा रहे हैं उससे लगता है कि देश की प्राचीन भाषा एक बार फिर से आम लोगों के बीच में लोकप्रिय हो जाएगी।
प्रो. गुरुचरण नेगी, एसोसिएट निदेशक, बौद्ध दर्शन और पाली विभाग, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

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