प्रयागराज : नीलामी से जुड़े एक मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की "अवैध और मनमाना कार्यवाही के लिए लगाई फटकार

प्रयागराज : नीलामी से जुड़े एक मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति की नीलामी से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा के "अवैध और मनमाना" व्यवहार पर फटकार लगाते हुए कहा कि इस विशेष मामले में बैंक की उपरोक्त कार्रवाई स्पष्ट रूप से कानून के दायरे से परे, मनमानी, स्वेच्छाचारी और कानून में स्थापित सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है। बयाना राशि स्वीकार कर नीलामी क्रेता को संपत्ति बेचने के बाद बैंक किसी भी तरह से मूल उधारकर्ता को संपत्ति वापस नहीं कर सकता है।

बैंक के आचरण को अनुचित मानते हुए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और बैंक को निर्देश दिया कि वह नीलामी क्रेता को बयाना राशि पर 24% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करे । यद्यपि अपने अधिवक्ता के माध्यम से बैंक ने अवैध कार्रवाई के लिए बिना शर्त माफी मांगी, फिर भी कोर्ट ने बैंक को निर्देश दिया कि वह नीलामी क्रेता को क्षतिपूर्ति के रूप में 24% ब्याज दर के साथ बयाना राशि वापस करे। उक्त आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति डॉ योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सौरभ सिंह चौहान द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याची ने सरफेसाई अधिनियम के तहत उक्त संपत्ति के लिए सफलतापूर्वक बोली लगाई थी।

मामले के अनुसार नीलामी प्रक्रिया पूरी करने और सफल बोलीदाता (नीलामी क्रेता) से बयाना राशि स्वीकार करने के बावजूद नीलाम की गई संपत्ति को उधारकर्ता (मूल उधारकर्ता) को वापस कर दिया गया, जिसके लिए कोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा की कार्रवाई को "मनमाना, सनकी और स्वेच्छाचारी " बताया। अंत में कोर्ट ने बैंक को मामले की अगली सुनवाई पर यानी 30 अप्रैल को पूरी निर्दिष्ट राशि के लिए डिमांड ड्राफ्ट के साथ कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया।

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