UP : GST कर निर्धारण आदेशों की वैधता होगी बहाल, करोड़ों का राजस्व सुरक्षित

UP : GST कर निर्धारण आदेशों की वैधता होगी बहाल, करोड़ों का राजस्व सुरक्षित

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने वस्तु एवं सेवाकर (GST) से जुड़े अपने कुछ आदेशों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। इसलिए-क्योंकि, जीएसटी से जुड़े कुछ प्रकरण की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष 21 जुलाई 2022 को जारी विभाग की अधिसूचना का जिक्र नहीं किया गया था। लिहाजा, वित्तीय वर्ष 2017-18 के टैक्स निर्धारण से संबंधित विभाग के करीब 10 आदेशों को, अदालत ने काल-बाधित मानते हुए रद्द कर दिया था। इससे सरकारी राजस्व में करोड़ों रुपये के टैक्स के नुकसान की आशंका बनी थी। लेकिन अब उन आदेशों की वैधता बहाल हो गई है। इससे सरकार का करोड़ों का राजस्व संरक्षित होने की उम्मीद जगी है। 

दरअसल, लखनऊ में लीगल मामलों को देखने वाली संस्था, कारप्रोलीगल के CEO, एडवोकेट आशीष कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में GST की सुनवाई वाली हाईकोर्ट डिवीजन बेंच को एक पत्र भेजा था। जिसमें, माननीय न्यायाधीशों को शासन द्वारा GST को लेकर जारी 21 जुलाई 2022 की अधिसूचना से अवगत कराया था। आशीष कुमार सिंह के मुताबिक, " माननीय न्यायालय द्वारा तत्काल इस तथ्य को संज्ञान में लेते हुए, पूर्व में पारित ऐसे सभी आदेशों को रिव्यू करने का निर्णय लिया गया है।" 

हाईकोर्ट में अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कहा कि जीएसटी और इनकम टैक्स विशेषज्ञ के तौर पर मैं आदेशों का अध्ययन करता हूं। इसी दौरान मैंने पाया कि जीएसटी से जुड़ी इन याचिकाओं में जीएसटी की 21 जुलाई 2022 की अधिसूचना का जिक्र ही नहीं है। इतना ही नहीं, कोर्ट में सुनवाई के समय, सरकारी पैरवी में भी इसका उल्लेख नहीं किया जा रहा था। उधर, कोर्ट में लगातार विभाग के आदेश रद होने से सरकार को संभावित तौर पर करोड़ों के राजस्व नुकसान की आशंका बढ़ रही थी। 

बीते 8 अप्रैल को एडवोकेट आशीष कुमार सिंह ने हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच में शामिल जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला को एक पत्र भेजा। इसके साथ 21 जुलाई 2022 की जीएसटी की उस अधिसूचना की कॉपी भी भेजी थी। एडवोकेट आशीष कुमार सिंह ने कहा कि, ये काफी महत्वपूर्ण है कि माननीय न्यायालय ने इस पर संज्ञान लिया और पूर्व में पारित आदेशों को रिव्यू करने का फैसला लिया है। इससे राजस्व हित संरक्षित होंगे। हाईकोर्ट के कर अधिवक्ताओं के बीच ये केस काफी चर्चा में है।

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