बाराबंकी: जिला अस्पताल में इलाज कराने आई युवती से छेड़छाड़, जबरन दी नींद की गोली
बाराबंकी, अमृत विचार। जिला अस्पताल में शनिवार शाम बेहद शर्मनाक घटना घटी। तबीयत खराब होने पर इलाज कराने जिला अस्पताल की इमरजेंसी पहुंची युवती को ड्यूटी पर मौजूद कर्मी ने नींद की गोली खिलाने की कोशिश की। युवती के मना करने पर कर्मी जबरन उसे शौचालय की ओर ले गया और उससे छेड़छाड़ की।
पीड़िता ने शहर कोतवाली में मामले की शिकायत की तो मुकदमा दर्ज हो गया। खास बात यह कि आरोपी कर्मी की इंटर्नशिप डेढ़ साल पहले ही पूरी हो चुकी इसके बावजूद वह स्टाफ के साथ लगातार काम कर रहा था। वहीं अब जिला अस्पताल प्रशासन आरोपी के बारे में कोई जानकारी होने से ही इंकार कर रहा।
मामला यह है कि रामनगर थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली युवती तबीयत खराब होने पर महिला रिश्तेदार के साथ शुक्रवार की शाम जिला अस्पताल पहुंची। यहां पर उसने इमरजेंसी की ओर रुख किया। युवती ने बताया कि डिप्रेशन के चलते उसे नींद नहीं आ रही थी।
डॉक्टर के कहने पर उसे इमरजेंसी के भर्ती कक्ष के पहले तल पर भेज दिया गया। उसे देर रात भी नींद नहीं आई, इसी बीच स्टॉफ के साथ ड्यूटी पर मौजूद विकास वर्मा पुत्र विजय प्रकाश वर्मा निवासी ग्राम अमौली कला थाना रामनगर ने उसे नींद की गोली खाने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया।
युवती के अनुसार विकास इससे पहले भी इस तरह का प्रयास कर चुका था। कुछ देर बाद विकास ने उसे शौचालय की ओर जबरन ले गया और वहां अश्लील हरकतें की। शोर करने पर आरोपी वहां से चला गया। आरोपी विकास का कहना है कि युवती को नींद नहीं आने पर उसने इंजेक्शन लगाया था। युवती उसके पड़ोस के गांव की है, जिससे उसने उसे नींद की दवा दी थी।
उधर पीड़िता ने शनिवार को नगर कोतवाली में घटना की तहरीर दी जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के साथ ही हिरासत में लिया है। नगर कोतवाल राम किशन राणा ने बताया कि जिला अस्पताल में छेड़छाड़ का मामला है। पीड़िता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
सीएमएस घटना से ही अंजान
इस घटना को लेकर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा वीपी सिंह ने बताया कि उन्हे घटना की जानकारी नहीं है। वह आरोपी के बारे में कुछ नहीं जानते, वह जिला अस्पताल में काम नही करता।
इंटर्नशिप खत्म होने के बाद कैसे कर रहा था कार्य?
छेड़छाड़ के आरोपी विकास को जिला अस्पताल प्रशासन भले ही स्वीकार न कर रहा हो पर वह लगातार जिला अस्पताल में हाजिरी दर्ज कराता रहा। जिला अस्पताल में उसकी इंटर्नशिप डेढ़ वर्ष पहले ही पूरी हो चुकी थी। इसके बावजूद वह अन्य स्टाफ की तरह काम करता रहा, वह रात में ही इमरजेंसी में हाजिर हो जाता था। इस दौरान वह पेशेंट को देखता, इंजेक्शन लगाने के साथ ही दवाएं देता था। आखिर वह किसके हुक्म से जिला अस्पताल में सेवाएं दे रहा था, इसका जवाब किसी के पास नही है।
बता दें कि जिला अस्पताल में इंटर्नशिप के नाम पर घालमेल ही नहीं है बल्कि इन्हीं के सहारे यहां डाक्टर जोरशोर से बाहर की दवाएं और जांच भी लिखते हैं। जिला अस्पताल के लगभग सभी चिकित्सक से साथ इसी तरह का आउटसाइडर बैठा मिलेगा। जो बाहर की दवा, जांच, प्राइवेट अस्पताल में इलाज जैसी अन्य पूरी सेटिंग कराते हैं। मजबूर मरीज दबाव में आकर कहना मान लेता है। यह दशा सेवाओं सुविधाओं में पुरस्कार पाने वाले जिला अस्पताल की है।
