जाम और अतिक्रमण से ठप हो रहा व्यापार, बदहाली का हब बना अमीनाबाद, देखें Video

जाम और अतिक्रमण से ठप हो रहा व्यापार, बदहाली का हब बना अमीनाबाद, देखें Video

लखनऊ, अमृत विचार : अमीनाबाद स्थित गुइन रोड का स्टेशनरी बाजार है। जहां जाम और अवैध अतिक्रमण से यहां से व्यापारी काफी परेशान हैं। ये स्टेशनरी बाजार बिजली के तारों के मकड़जाल में उलझा है। तेज हवा चलने पर इन्हीं से चिंगारी फूटती हैं। नीचे ही कागज का कारोबार चलता है। भीड़ और जाम इस कदर की पैदल निकलना तक मुश्किल है। दुकानों के बाहर ही बिजली के झुके हुए पोल और लटकते तार किसी भी दिन बडे़ हादसे का सबब बन सकते हैं। तारों के शार्ट-सर्किट से बीते वर्ष इस बाजार में बड़ा अग्निकांड हुआ था और करोड़ों का नुकसान हुआ था। यहां तक डिप्टी सीएम ने दौरा कर यहां के हालातों पर नाराजगी जताई थी। अग्निकांड के दौरान अमीनाबाद फायर सर्विस की गाड़ी तक नहीं पहुंच पाई थी। दूसरी जगह से दमकल गाड़ी ने आग बुझाई थी। सबसे व्यस्ततम बाजार में न आग से सुरक्षा के ठोस इंतजाम हैं और न ही जाम से निपटने का। इमरजेंसी में यहां पहुंचने का रास्ता तक बनाना आसान नहीं होता है। रविवार को जब अमृत विचार आपके द्वार की टीम स्टेशनरी बाजार पहुंची तो करोड़ों रुपये सालाना ''टैक्स'' भरने वाले व्यापारियों ने नाराजगी जताई। समस्याएं दिखाईं कहा... बताएं कैसे कारोबार दौड़ेगा। 

पूरे बाजार में न शौचालय, न पीने को पानी

स्टेशनरी बाजार में दुकानदार, कर्मचारियों के अलावा हजारों व्यापारियों का आनाजाना होता है। लेकिन, पूरे बाजार में शौचालय नहीं है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। बाजार में पेयजल का कोई साधन नहीं है। जबकि मेन रोड से पाइप लाइन निकली है फिर भी दुकानों पर पानी का कनेक्शन नहीं है। इसके बाद भी दुकानदार से हजारों रुपये वाटर टैक्स वसूला जाता है।

40 से ज्यादा जिलों को स्टेशनरी आपूर्ति करने वाला बाजार

स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि 108 वर्ष पुराने इस स्टेशनरी बाजार में थोक और फुटकर दोनों तरह का कारोबार होता है। थोक का बड़ा व्यापार यहीं से होता है। प्रदेश के 40 से ज्यादा जिलों की स्टेशनरी संबंधित जरूरतें यही बाजार पूरा करता है। करीब 50 कॉम्पलेक्स और 350 कॉपी, किताब और स्टेशनरी सामग्री की दुकानें और उनके गोदाम भी यहीं पर हैं। जहां करोड़ों के कागज कॉपी व अन्य सामग्रियों बनाने के 100 से ज्यादा कारखाने हैं। खरीदारी के लिए दिनभर हजारों लोग लखनऊ के अलावा अन्य जिलों से इसी बाजार में आते हैं। सबसे ज्यादा आग की घटनाओं का डर यहां पर ही रहता है। क्योंकि जगह-जगह दुकानों के बाहर टेढ़े पोल किसी खतरे से कम नहीं है। पोल पर तारों के मकड़जाल से शार्ट सर्किट होने पर चिंगारी निकलती है। जबकि अंदर की संकरी गलियों का हाल इससे भी बुरा है। बिजली के तार कॉम्पलेक्स और घरों के छज्जों से सटाकर निकाले गए हैं।

सड़क पर पार्किंग, हर पल जाम का नजारा आम

बाजार में वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। क्योंकि ज्यादातर कॉम्पलेक्स काफी पुराने हैं। उस समय बिल्डिंग के अंदर व बाहर पार्किंग पर ध्यान नहीं दिया गया। जो अब बड़ी समस्या बनी है। इसलिए लोग वाहन दुकानों के बाहर आड़े-तिरछे खड़े करते हैं। जहां जगह मिली वहां खड़ा कर दते हैं। इससे सड़क संकरी हो जाती है और जाम लगता है। सड़कों पर अतिक्रमण और ई-रिक्शा भी जाम लगाते हैं।

बढ़ा गृहकर, लगवा रहे चक्कर

स्टेशनरी बाजार के व्यापारी बढ़े आवासीय व व्यवसायिक गृहकर से भी परेशान हैं। कहना है कि वर्ष 2023 में नगर निगम द्वारा जीआईएस सर्वे करके गृहकर का मूल्यांकन किया, जो सही नहीं है। सर्वे में अचानक कई गुना गृहकर बढ़ा दिया गया है। किसी का कम तो किसी का ज्यादा है। कई बार सम्बंधित विभाग और शिविर में शिकायत की गई तो निस्तारण करने के बजाय मानकों में उलझा दिया। अब भी व्यापारी चक्कर लगा रहे हैं। आइए सुनते हैं इन व्यापारियों की समस्याएं

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