colorectal cancer के जोखिम को कम करता है विटामिन D, पढ़े क्या कहती है Research

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Published By Anjali Singh
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ब्रिटेन, अमृत विचार। कैंसर दुनियाभर में मौत के लिए दूसरा प्रमुख कारण हैं। world health organisationके अनुसार, आज के समय में हर साल 10 मिलियन कैंसर के नए केस सामने आते हैं।  वहीं, अगर भारत की बात की जाये तो WHO के चौकाने वाले आकड़े सामने आये हैं जिसमें यह कहा गया हैं कि भारत में 16 मिलियन कैंसर के मामले दर्ज किये गए। ये 6  तरह के टाइप थे जिसमें फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल है। 

कोलोरेक्टल कैंसर (CRC) की रोकथाम और उपचार में विटामिन डी की संभावित भूमिका को लेकर जस्टिन स्टेबिंग, एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय, अनुसंधान में रुचि बढ़ी है - खासकर तब जब CRC की दरें बढ़ रही हैं, खासकर युवाओं में। यह अध्ययन का कोई नया क्षेत्र नहीं है। 

कम विटामिन D स्तर को लंबे समय से कोलोरेक्टल कैंसर होने के उच्च जोखिम से जोड़ा जाता रहा है। बारह हजार से अधिक प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आयी कि विटामिन D के कम रक्त स्तर वाले लोगों में उच्च स्तर वाले लोगों की तुलना में CRC होने का जोखिम 31 प्रतिशत अधिक था। इसी तरह, एक अन्य अध्ययन में विटामिन डी युक्त आहार का सेवन करने वाले व्यक्तियों में CRC जोखिम 25% कम होने की बात सामने आयी। 

‘नर्सेज हेल्थ स्टडी’ के आंकड़े से पता चला है कि सबसे अधिक विटामिन डी का सेवन करने वाली महिलाओं में सबसे कम सेवन करने वाली महिलाओं की तुलना में कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का जोखिम 58% कम था। अब, एक समीक्षा में कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम और उपचार में विटामिन डी की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है लेकिन साथ ही वर्तमान अध्ययन में जटिलता और विरोधाभासों को रेखांकित भी किया गया है। 

हालांकि, लोगों द्वारा विटामिन D के उपयोग पर आधारित अवलोकन संबंधी आंकड़े, तथा प्रयोगशाला में विटामिन D किस प्रकार कार्य करता है, इसकी जांच करने वाले यांत्रिक अध्ययन, सुरक्षात्मक प्रभावों का सुझाव देते हैं, लेकिन बड़े परीक्षणों से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। विटामिन D सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया में त्वचा में संश्लेषित होता है और पूरे शरीर में पाए जाने वाले विटामिन D receptors (VDR) के माध्यम से अपने जैविक प्रभाव डालता है, जिसमें बृहदान्त्र ऊतक भी शामिल है। सक्रिय होने पर, ये रिसेप्टर सूजन, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और कोशिका वृद्धि से संबंधित जीन गतिविधि को विनियमित करने में मदद करते हैं जो कैंसर होने की मुख्य प्रक्रियाएं होती हैं। 

preclinical studies से पता चला है कि विटामिन डी (calcitriol) का सक्रिय रूप सूजन को दबा सकता है, प्रतिरक्षा निगरानी (असामान्य कोशिकाओं का पता लगाने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता) को बढ़ा सकता है, ट्यूमर रक्त वाहिका वृद्धि को रोक सकता है और कोशिका विभाजन को नियंत्रित कर सकता है। यह कैंसर होने का एक प्रमुख कारक होता है, जैसा कि मेरे हालिया शोध में प्रदर्शित हुआ है। 

महामारी विज्ञान संबंधी अध्ययनों से लगातार यह बात सामने आयी है कि विटामिन D के उच्च रक्त स्तर वाले लोगों में CRC होने का जोखिम कम होता है। यह एक उम्मीद की तस्वीर पेश करता है, क्योंकि इससे यह बात सामने आती है कि सूर्य किरणों के संपर्क, आहार या पूरक के माध्यम से अधिक विटामिन D प्राप्त करने से कैंसर का जोखिम कम हो सकता है। हालांकि, जब चिकित्सा संबंधी निर्णय लेने की बात आती है, तो ‘randomised control trial (RCT) मानक होते हैं। दुर्भाग्य से, विटामिन D और CRC पर RCT ने मिश्रित परिणाम दिए हैं। 

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