प्रयागराज : कोर्ट के आदेशों का अनुपालन न करने वाले बीएसए के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय, फर्रुखाबाद में कार्यरत शिक्षिका को द्वितीय मातृत्व अवकाश देने के मामले में कोर्ट के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक (बेसिक), लखनऊ प्रताप सिंह बघेल, बेसिक शिक्षा बोर्ड, प्रयागराज के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी, फर्रुखाबाद गौतम प्रसाद बुधवार को उपस्थित हुए। 

बीएसए, फर्रुखाबाद ने हलफनामे के माध्यम से कोर्ट को बताया कि याची के दूसरे मातृत्व अवकाश से संबंधित आदेश 27 मई 2025 को अपलोड कर दिया गया है, उन्होंने कोर्ट द्वारा पारित आदेश की अवहेलना करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी और भविष्य में न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का पालन करने का वचन दिया। इसके साथ ही शिक्षा निदेशक (बेसिक), लखनऊ ने स्वीकार किया कि कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारी उचित प्रक्रिया का पालन ना करते हुए आदेश पारित कर रहे हैं, जिससे कोर्ट के समक्ष याचिकाओं का बोझ बढ़ता जा रहा है। अधिकारी ने इस संबंध में शीघ्र उपचारात्मक कार्रवाई करने की बात बताई। 

शिक्षा निदेशक ने कोर्ट को बताया कि विभाग द्वारा समय-समय पर परिपत्र के माध्यम से सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश दिया जा रहा है कि वह आदेश पारित करते समय कोर्ट द्वारा पारित आदेशों, नियमों और कर्मचारियों द्वारा दिए गए प्रत्यावेदनों पर पूर्ण विचार करें। इसके अलावा समय-समय पर विभाग द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों की ऑनलाइन ट्रेनिंग एवं फिजिकल ट्रेनिंग भी कराई जा रही है। इसके साथ ही यह भी प्रयास किया जा रहा है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा पारित आदेशों की एक प्रति निदेशक एवं अपर निदेशक स्तर के अधिकारियों को भी प्रेषित की जाए, जिससे बीएसए द्वारा पारित आदेशों के गुणवत्ता की समीक्षा की जा सके।

अंत में शिक्षा निदेशक ने यह भी सुनिश्चित किया कि अगर किसी बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा विभागीय निर्देशों का अनुपालन सही ढंग से नहीं किया जाएगा, तो उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उपरोक्त स्पष्टीकरण शिक्षा निदेशक द्वारा किरण देवी की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी के आदेश के अनुपालन में दिया गया। मालूम हो कि याची द्वारा दूसरे मातृत्व अवकाश के प्रत्यावेदन को संबंधित बीएसए ने 'अनुमन्य नहीं' लिखकर बिना किसी विशिष्ट कारण के अस्वीकार कर दिया था, जिसे कोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका में चुनौती दी गई थी।

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