राष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी करने वाला अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम अब बदहाली का शिकार 

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Published By Pawan Singh Kunwar
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पवन सिंह कुंवर, हल्द्वानी। 

अमृत विचारः गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, जो कभी देशभर के खिलाड़ियों के लिए सपनों की उड़ान था, आज उपेक्षा और बदहाली का शिकार है। राष्ट्रीय खेलों के दौरान इस क्रिकेट स्टेडियम को अस्थायी रूप से फुटबॉल स्टेडियम में तब्दील किया गया था, जिसके लिए मैदान पर करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से यूरोपीयन घास बिछाई गई थी। आज वही घास बिना देखरेख के मैदान का स्वरूप बदहाल हो गया है।
यूरोपीयन घास, जिसे खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल मैचों के लिए लगाया गया था, रखरखाव के अभाव ने इस अत्याधुनिक मैदान की पूरी गुणवत्ता को बर्बाद कर दिया है।

बाउंड्री के चारों ओर उगी घास अब मैदान का मूल स्वरूप ही छुपा चुकी है। गौलापार में बने जिस अंतरराष्ट्रीयस्टेडियम ने कभी राष्ट्रीय खेलों की भव्य मेज़बानी की थी, जहां देश के कोने-कोने से आए खिलाड़ियों ने अपने सपनों को पंख दिए थे, आज वही स्टेडियम बदहाली के अंधेरे में डूबता जा रहा है। स्टेडियम की हालत देख हर खेलप्रेमी और खिलाड़ी का दिल टूटता है। राष्ट्रीय खेलों के समय इस स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर तैयार किया गया था। 

अत्याधुनिक स्ट्रीट लाइट्स, फायर हाइड्रेंट सिस्टम, स्वच्छ पेयजल सुविधा, और खूबसूरत हरियाली इसकी पहचान बन गए थे। लेकिन आज वही स्ट्रीट लाइटें या तो टूट चुकी हैं या निष्क्रिय पड़ी हैं। फायर हाइड्रेंट जंग खा चुके हैं और जिन नलों से कभी खिलाड़ी अपनी प्यास बुझाते थे, वे अब झाड़ियों में गुम हो गए हैं। स्टेडियम की छत (सीलिंग) जगह-जगह से टूटी हुई है। यही नहीं, क्रिकेट के चार अभ्यास पिचों (प्रैरेक्सिट फिज) पर घास जम चुकी है, जिससे खिलाड़ी अभ्यास तक नहीं कर पा रहे। साथ ही जिस मौली से पूरे शहर को सजाया गया था उस मौली पर भी अब घास जम गई है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है। यह स्थिति न सिर्फ खेल संस्कृति को चोट पहुंचा रही है, बल्कि भविष्य के खिलाड़ियों के सपनों पर भी कुठाराघात कर रही है। खेल विभाग की यह लापरवाही एक गंभीर चिंता का विषय है। एक ओर जहां सरकार खेलो इंडिया जैसे अभियानों के ज़रिए युवाओं को खेल के प्रति प्रोत्साहित करने की बात करती है, वहीं ज़मीनी स्तर पर ऐसी दुर्दशा इन अभियानों की साख पर सवाल खड़ा करती है।

पेयजल स्थलों पर उग आई झाड़ियां
हल्द्वानी। गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए लगाए गए 26 पेयजल स्थलों की हालत दयनीय हो चुकी है। लंबे समय से देखरेख न होने के कारण इन स्थानों पर अब झाड़ियां उग आई हैं, और चार पानी की टोटियां भी गायब हो चुकी हैं। जिन जगहों से खिलाड़ियों की प्यास बुझती थी, वहां अब वीरानी और उपेक्षा पसरी है। 

गौलापार स्टेडियम की वर्तमान स्थिति हमारी जानकारी में है। हम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। मैनपावर की कमी है, जिससे नियमित सफाई और रखरखाव में बाधा आ रही है। इसके बावजूद सफाई का कार्य चरणबद्ध रूप से चलाया जा रहा है। जहां तक फायर हाइड्रेंट सिस्टम की बात है, उसे अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थान पर रखा गया है ताकि आपात स्थिति में उसका इस्तेमाल किया जा सके। अभ्यास पिचों की मरम्मत और हरियाली की देखभाल के लिए भी कार्ययोजना बनाई गई है। निर्मला पंत, जिला क्रीडा अधिकारी 

 

 

 

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