पीलीभीत : PWD के बंद गोदाम से निकल रहा कोलतार, जिम्मेदारों के अपने-अपने तर्क...सब कुछ गोलमाल!
पीलीभीत, अमृत विचार: करीब तीन साल पहले पीडब्ल्यूडी के गोदामों से कोलतार पर बिक्री पर रोक लगा दी गई। कोलतार डिपो भी बंद कर दिए गए थे। मगर, अब इन्हीं बंद डिपो से प्रतिदिन कोलतार भरे ड्रम निकाले जा रहे हैं। हालांकि इसे लेकर अधिकारियों के अपने तर्क हैं, लेकिन न तो स्टॉक की पुख्ता जानकारी है, न ही गेट पास के तौर पर इस्तेमाल की जा रही स्लिप पर जिम्मेदार की कोई मोहर लगी हुई है। जिससे मामला खेल की ओर इशारा कर गया है। इसे लेकर खलबली मची हुई है। चर्चा ये भी है कि कुछ जिम्मेदार ही खेल करके गोदाम से चोरी छिपे ठेकेदारों को कोलतार की बिक्री कर रहे हैं।
एक बार फिर पीडब्ल्यूडी के गोदाम से कोलतार को लेकर मामला चर्चित हो रहा है। जिसमें सब कुछ गोलमाल सा प्रतीत हो रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, शासन ने वर्ष 2022 में लोक निर्माण विभाग के गोदामों से कोलतार बिक्री पर रोक लगा दी थी। शासन के आदेश के बाद लोक निर्माण विभाग की दोनों शाखाओं द्वारा गोदामों में स्टॉक का समायोजन करते हुए इसकी रिपोर्ट भेज दी थी। गोदामों से कोलतार बिक्री पर लगी रोक के बाद दावा किया जा रहा है कि अब ठेकेदार सीधे अपने स्तर से ही कोलतार खरीद रहे हैं। इधर लोक निर्माण विभाग के स्थानीय गोदामों से कोलतार निकालने का मामला प्रकाश में आया है।
इसकी सप्लाई अधिकांशत: शाम पांच बजे के बाद की जा रही है। एक गेट पास जारी किया जा रहा है, जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के हस्ताक्षर को ही जिम्मेदार पर्याप्त बताया जा रहा है। इसमें किसी तरह की कोई मुहर भी नहीं लगी है। पिछले कई दिनों से नकटादाना चौराहा के पास स्थित गोदाम से लगातार कोलतार के ड्रम निकाले जा रहे हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि ये सब नियम कानून के हिसाब से चल रहा है। मगर, वहीं सब कुछ गोलमाल होने का शोर भी कम नहीं है।
गुरुवार को छह ड्रम कोलतार शाम करीब छह बजे निकाला गया। इस वाहन के आगे एक पीडब्ल्यूडी का ही कर्मचारी साथ चल रहा था। सवाल जवाब हुए तो वह खुद भी खेल की तरफ इशारा कर गया। बाद में ये कहना शुरू कर दिया कि मुहर और साहब के हस्ताक्षर अभी कराना भूल गए थे, अब इसे करा लिया जाएगा। संदिग्धता प्रतीत होने पर इसकी मौखिक शिकायत एडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट से तक से की गई। जिसके बाद एक्सईन को अवगत कराकर दिखवाने की बात कही गई। मगर, विभागीय जिम्मेदार आधे -अधूरे जवाब के बीच सब कुछ ओके साबित करने में जुटे रहे। फिलहाल ये खेल लंबे समय से जारी है।
तो इस पूरे खेल के पीछे एक ही 'लीला'
पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भले ही इस पूरे मामले को सही बता रहे हो लेकिन इस काम से जुड़े कुछ जिम्मेदारों की मानें इस सब के पीछे एक ही 'लीला' है। उसी के सहारे सब कुछ चल रहा है। वहीं, एक अन्य जिम्मेदार की भूमिका भी अहम बताई जा रही है। फिलहाल कुछ भी हो स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं है। अधिकारियों के दावे और उठते सवाल एक दूसरे से भिन्न हैं।
एक्सईएन बोले : हमने मंगवाया है स्टॉक, कितना बचा एई बताएंगे
एक्सईएन पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड संजीव जैन से जब इस बारे में जानकारी की गई तो उनका कहना था कि विभागीय स्तर पर मई माह में 61.16 लाख रुपये की लागत से 115 मीट्रिक टन कोलतार की खरीद की गई थी। जिसे गोदाम में रखवाया गया है। उसे ठेकेदार को बिक्री नहीं किया जाता है। विभागीय स्तर से मुहैया कराया जाता है। इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता। रसीद पर बिना किसी अधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर के सिर्फ चौकीदार के नाम लिखा होने को भी सही करार दिया।
जबकि ठेकेदारों का कहना था कि स्टोर कीपर की मुहर अनिवार्य होती है, वरना कैसे स्पष्ट होगा कि हस्ताक्षर उसी ने किए या नहीं। एक्सईएन का कहना था कि 28 सड़कों के लिए कोलतार मुहैया कराया जा रहा है। हालांकि अब तक कितना स्टाफ बाकी है और कितना मुहैया करा चुके हैं, इससे जुड़ा कोई रिकार्ड नहीं बता सके। इसके लिए एई पर जिम्मेदारी टाल दी गई। इतना ही नहीं सब कुछ ठीक होने के बाद भी सप्लाई ले जा रहे कर्मचारियों के कोई जवाब न देने के पीछे ये तर्क दे दिया कि उसे जानकारी नहीं होगी इसलिए घबरा गया होगा।मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी बरेली अजय कुमार के मुताबिक, वर्तमान में विभाग की ओर से कोलतार नहीं मंगवाया जाता है। अगर विभागीय होगा तो छोटे-मोटे कामों के लिए मंगाया गया होगा। फिलहाल मामला संज्ञान में नहीं है। इसे दिखवाया जाएगा।
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