अंसल फर्जीवाड़ा : प्लॉट व फ्लैट के नाम पर सात लोगों से ठगे 36 लाख
प्रयागराज, चंदौली, गोंडा, आजमगढ़, सीतापुर व लखनऊ के पीड़ित हुए शिकार
लखनऊ, अमृत विचार: हाईटेक टाउनशिप के नाम पर अरबों का फर्जीवाड़ा करने वाली अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ सात और पीड़ित सामने आए हैं। कंपनी मालिक प्रणव अंसल, सुशील अंसल और अन्य निदेशकों व कर्मचारियों पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दर्ज की गयी है। प्रयागराज, चंदौली, गोंडा, आजमगढ़, सीतापुर व लखनऊ के पीड़ितों ने फ्लैट व प्लॉट के नाम पर करीब 36 लाख रुपये की ठगी का आरोप लगाया है। इंस्पेक्टर उपेंद्र सिंह ने बताया कि मामलों की जांच शुरू कर दी है।
प्रयागराज के धूमनगंज निवासी पवन कुमार राठौर ने बताया कि वर्ष 2011 में अंसल एपीआई में संपर्क किया था। बातचीत कर उन्होंने 194 वर्गगज का एक प्लॉट रीसेल में लिया था। उक्त प्लॉट का एग्रीमेंट सुनीता मिश्रा ने किया था। जिसके बाद पीड़ित ने 9,51,135 रुपये रुपये जमा किए थे, लेकिन प्लॉट नहीं मिला। वहीं, चंदौली स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय निवासी दुर्गावती देवी ने वर्ष 2016 में अंसल एपीआई में एक प्लॉट बुककर 7,55,397 रुपये जमा किए थे। कंपनी निदेशकाें ने बुकिंग के दौरान जल्द रजिस्ट्री का आश्वासन दिया था, लेकिन नौ साल बाद भी टालमटोल की गयी। उधर, इंदिरानगर ए-ब्लॉक निवासी वंदना सिंह ने वर्ष 2010 में पैराडाइज डायमंड में एक फ्लैट बुक कर 5,93,084 रुपये जमा किए थे। फिर भी फ्लैट पर कब्जा नहीं मिला।
इसके अलावा गोंडा छपिया निवासी गोविंद प्रसाद ने बताया कि स्व. पिता अंगनू प्रसाद ने 2010 में अंसल एपीआई में 558 स्क्वॉयर फीट का एक फ्लैट बुक कराया था। वर्ष 2018 तक उन्होंने 5,97,242 रुपये जमा किए थे। अंगनू फ्लैट पर कब्जे के लिए अंसल कार्यालय के चक्कर लगाते रहे लेकिन हर बार टालमटोल की गयी। कब्जे के इंतजार में मई 2024 में अंगनू की मौत हो गयी। उसके बाद वारिस गोविंद ने अंसल में संपर्क किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
वहीं, आजमगढ़ के जहानागंज निवासी संदीप सिंह ने अप्रैल 2015 में फ्लैट बुक कराकर कई बार में 5.85 लाख रुपये, सीतापुर के आलमनगर निवासी मेंहदी हसन ने अंसल बिल्डर्स की आशा भरोसा योजना में दिसंबर 2015 में रजिस्ट्रेशन कर किस्तों में 1,17,500 रुपये और इंदिरानगर के मानसनगर निवासी त्रिभुवन शुक्ला ने बेटे व बहू के नाम पर दिसंबर 2008 में अंसल एपीआई में एक-एक मकान बुक कराया था। कंपनी ने मार्च 2015 में कब्जे का आश्वासन दिया गया। पीड़ित ने दोनों भवनों की पूरी रकम जमा की। 17 साल बाद भी रजिस्ट्री व कब्जा नहीं मिला।
साइबर ठग ने युवती समेत तीन के खाते से उड़ाए 2.60 लाख
साइबर जालसाजों ने युवती समेत तीन के खातों से 2.60 लाख रुपये उड़ा लिए। कहीं जालसाज ने मैसेज व कॉल कर नौकरी का झांसा दिया तो कहीं बैंक के क्रेडिट कार्ड विभाग का कर्मी बनकर फंसाया। साइबर ठगी के यह मामले कृष्णानगर व आलमबाग के हैं। पुलिस तीनों मामलों को दर्ज कर साइबर क्राइम सेल की मदद से जांच कर रही है।
कृष्णानगर के मानस नगर निवासी चारू सक्सेना ने बताया कि 20 जून को उनके पास नौकरी संबंधी मैसेज आया। मैसेज में दिए गए नंबर पर उन्होंने कॉल की। जिसके बाद जालसाज ने नौकरी दिलाने का झांसा दिया। उसके बाद कई बार में ऑनलाइन यूपीआई माध्यम से 1,21,228 रुपए ट्रांसफर कर दिए। पीड़िता ने बताया कि मांग बढ़ने पर उन्होंने इंकार किया तो जालसाज ने धमकाया। ठगी का एहसास होने पर पीड़िता ने कृष्णानगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
इसी थाना क्षेत्र के इंद्रलोक कॉलोनी निवासी रविकांत दुबे का खाता एक्सिस बैंक में हैं। उनके पास बैंक का क्रेडिट और डेबिट कार्ड है। कुछ दिन पहले मोबाइल पर ट्रांजेक्शन फेल की सूचना आई, जिसके बाद उन्होंने अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड को ब्लॉक कर दिया। लेकिन इससे पहले ही उनके खाते से चार बार में खाते से 67,766 रुपये निकल गए। पीड़ित ने बैंक शाखा की ग्राहक सेवा केंद्र और साइबर सेल में सूचना देने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई है।
वहीं, आलमबाग के गढ़ी कनौरा आरती नगर निवासी प्रदीप कुमार ने बताया कि कुछ दिन पहले कॉल आई। जालसाज ने एसबीआई कर्मी बन क्रेडिट कार्ड पर बीमा की बात कही। उसे बंद कराने का झांसा देकर जालसाज ने एप डाउनलोड कराकर जानकारी हासिल की। उसके बाद कार्ड से 70,891 रुपये पार कर दिए। प्रदीप ने आलमबाग कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
मददगार बनकर बदला एटीएम कार्ड, खाते से निकले डेढ़ लाख
डिवाइन अस्पताल के सामने एटीएम बूथ पर मददगार बनकर उचक्के ने महिला का एटीएम कार्ड बदलकर 1.50 लाख रुपये पार कर दिए। इंस्पेक्टर विभूतिखंड सुनील कुमार सिंह ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर बैंक से एटीएम बूथ के सीसी कैमराें के फुटेज मांगे गए हैं।
गोसाईंगंज के नगर पंचायत वार्ड बाजार मध्य निवासी रजनी गुप्ता का खाता एक्सिस बैंक गोसाईंगंज शाखा में है। उन्होंने बताया कि 28 जून की सुबह वह डिवाइन अस्पताल के सामने स्थित बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम बूथ पर रुपये निकालने गयी थी। उन्होंने कार्ड लगाया, लेकिन रुपये नहीं निकले। उन्हें लगा सर्वर की दिक्कत है। तभी पीछे खड़े युवक ने मददगार बनकर कार्ड लेकर दोबारा प्रयास किया। बातचीत के दौरान उचक्के ने कार्ड बदल दिया। उसके बाद उनके खाते से तीन दिन के अंदर 13 बार में 1.50 लाख रुपये निकल गए। मोबाइल पर रुपये निकलने का मैसेज देख रजनी के पैरों तले जमीन खिसक गयी। बैंक में सूचना देकर कार्ड बंद कराने के बाद उन्होंने विभूतिखंड थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी है।
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