Bareilly: प्यार हुआ इकरार हुआ...फिर रेप के इल्जाम में क्यों बदल रहे इश्क के मामले ?

बरेली, अमृत विचार। सोशल मीडिया युवा वर्ग की मनोदशा पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। छोटी उम्र में किशोरियां और किशोर प्रेम-प्रसंग के चक्कर में पड़कर रिश्तों को खराब कर रहे हैं। यही कारण है कि थानों तक पहुंचने वाले प्रकरणों के कारण परिजन कोर्ट- कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। जिला अस्पताल के मेडिकोलीगल के आंकड़े बता रहे हैं कि प्रेम-प्रसंग में दुष्कर्म के आरोप के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
जिला महिला अस्पताल में वर्ष 2024 में प्रेम प्रसंग, दुष्कर्म और दुष्कर्म के आरोप के कुल 2185 मामले मेडिकोलीगल कक्ष पहुंचे थे। वहीं इस वर्ष 30 जून तक 1157 मामले आ चुके हैं। मेडिकोलीगल कक्ष से मिली रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल परीक्षण कराने आने वाले मामलों में करीब 50 फीसदी मामले नाबालिग के होते हैं। हैरत की बात तो ये है कि यहां रोजाना 5 से 10 मामले परीक्षण के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें देहात की तुलना में शहर के बारादरी थाना क्षेत्र से आने वाले मामलों की संख्या सर्वाधिक रहती है। वहीं प्रेमनगर थाने से सबसे कम मामले सामने आते हैं।
पहले था परिवार का नियंत्रण, अब निकल गया डर
बरेली कॉलेज की समाज शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवनीत कौर आहूजा बताती हैं कि समाज का परिवेश तेजी से बदल रहा है। एक दशक पहले की बात करें तो परिवार में लड़का हो या लड़की दोनों के लिए तमाम बंदिशें होती थीं, घर के बाहर अगर कोई पड़ोसी भी किसी लड़की को लड़के से बात करते देख लेता है तो फौरन टोकता था, लेकिन अब पड़ोसी तो दूर परिवार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं जिस प्रकार से सोशल मीडिया प्लेटफार्म में नई तकनीक जुड़ रही हैं इसने सामाजिक नियंत्रण को काफी हद तक खत्म करने का काम किया है। बच्चा घर में मौजूद होने के बाद भी दिन भर मोबाइल पर व्यस्त रहता है। मां-बाप कमाने में इतने व्यस्त हैं कि बच्चों से आपसी संवाद भी खत्म होता जा रहा है। युवाओं का स्क्रीन टाइम इतना बढ़ गया है कि एक ही कंटेंट जो किसी भी विषय से जुड़ा हो अगर बार-बार देखेगा तो उसकी मनोदशा प्रभावित होना लाजमी है।
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