कामयाबी के सुनहरे सपने दिखाते कोचिंग वसूल रहे मोटी फीस, शहर में Akash, Ellen से लेकर नारायणा कोचिंग तक ने डाला डेरा
लखनऊ, अमृत विचार: नए सत्र में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए कोचिंग संस्थानों ने अपना कारोबार आरंभ कर दिया है। नीट, जेईई और क्लेट की तैयारी के नाम पर लाख से ढाई लाख तक की फीस वसूली शुरू हो गई है। शहर में आकाश, एलेन से लेकर नारायणा कोचिंग तक ने डेरा डाल दिया है और छात्रों को तरह-तरह के लुभावने ऑपर के साथ कामयाबी के सतरंगी सपने दिखाने भी शुरू कर चुके हैं।
जबकि इस वर्ष की शुरुआत जनवरी में ही इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाली देश की प्रतिष्ठित कोचिंग में से एक फिटजी ने देश की राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न प्रदेशों की राजधानी लखनऊ, पटना, भोपाल, मुंबई, मेरठ जैसे बड़े शहरों में अपनी कोचिंग को रातोंरात बंद कर छात्रों को अंधेरे में छोड़ दिया।
लखनऊ के अलीगंज, गोमतीनगर, हजरतगंज आदि स्थानों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने और श्योर शॉट सक्सेस की गारंटी देने वाले कोचिंग संस्थानों पर अभिभावक बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए लाखों रुपए खर्च कर रहा है। अभिभावकों के सपनों को इंजीनियरिंग, मेडिकल व प्रशासनिक सेवा जैसे बड़े कंपीटीशन एग्जाम्स की तैयारी कराने वाले कोचिंग में से एक फिटजी के शहर से पलायन कर जाने का फायदा कई संस्थानों ने उठाना शुरू कर दिया है।
लखनऊ विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की डॉ. अर्चना शुक्ला बताती है कि जब बच्चा इंजीनियरिंग और मेडिकल की ठीक से समझ भी नहीं डेवलप कर पता है तब वह अपने अनुभव को के दबाव में नवी कक्षा से ही इन संस्थानों में प्रवेश के लिए ट्यूशंस या कोचिंग सेंटर्स में पहुंच जाता है।
देश में 10 करोड़ से अधिक छात्र कोचिंग में
नेशनल सैंपल सर्वे द्वारा वर्ष 2016 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार उसे समय पूरे देश में 7.01 करोड़ छात्र देश के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे थे। 2024 में अनुमानित यह आंकड़ा 10 करोड़ से ऊपर निकल चुका है। भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 5 से 16 आयु वर्ग के करीब 40 फ़ीसदी से अधिक बच्चे स्कूली शिक्षा के साथ-साथ प्राइवेट ट्यूशन को भी अपनाए हुए हैं।
तीन तरह का कोचिंग उद्योग
ग्रुप ट्यूशन, प्राइवेट ट्यूशन और कोचिंग सेंटर्स यह तीन हिस्सों में कोचिंग व्यवसाय बंटा हुआ है। मध्यम वर्ग और कामकाजी परिवार के लोग अपने बच्चों को ग्रुप ट्यूशंस में भेजते हैं जहां पर महीने की औसतन फीस 2000 से 3000 रुपए होती है। उच्च मध्यम वर्ग के लोग प्राइवेट शिक्षक रखकर 5 से 8 हजार हर माह देते हैं। इससे अधिक व्यय करने वाले लाख से ढाई लाख कोचिंग संस्थानों में जमा कर रहे हैं।
लखनऊ यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. एमके अग्रवाल के अनुसार, भारत में हुए एक रिसर्च में कोचिंग उद्योग 60000 करोड़ का है। जिसे 2028 में 135000 करोड़ तक के पहुंचने का अनुमान है। आज एजुकेशन सिस्टम में बढ़ती भीड़ ने कोचिंग संस्थानों के बीच में कड़ा मुकाबला खड़ा कर दिया है। लेकिन इनके बुनियादी ढांचे पर अभी तक किसी की कोई नजर नहीं गई है।
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