मुक्तेश्वर महादेव की आराधना से पूरी होगी मनोकामना, बाणासुर की पुत्री उषा करती थी शिव की आराधना

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Published By Anjali Singh
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अमृत विचार, बीकेटी: मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का वर्णन शिव महापुराण में है। शिव महापुराण के अनुसार बाणासुर की पुत्री उषा मुक्तेश्वर यहां भगवान शिव की आराधना करती थी। मंदिर में आग्नेय पत्थर से बनी उषा की मूर्ति भी स्थापित है। मुगल शासकों ने किले और मंदिर को तोड़ दिया था। उषा की मूर्ति खंडित कर दी थी। वर्ष 1836 में इटौंजा एस्टेट के राजा रामपाल सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर, इटौंजा का रत्नेश्वर मंदिर, कुम्हरावां का कारेश्वर महादेव मंदिर और शिवपुरी का महादेव मंदिर एक काल खंड के हैं।

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शिवपुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के क्षेत्र में कई शिवलिंग हजारों वर्षों से स्थापित हैं। यहां महाशिवरात्रि और सावन में बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक करते हैं। उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पुजारी पंडित राम गोपाल ने बताया कि कई वर्षों से मंदिर में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना कर रहा हूं। 

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सावन में यहां श्रद्धा का मेला लगता है। भक्तों को यहां असीम उर्जा मिलती है। लोगों को इस प्राचीन मंदिर के प्रति आस्था है। कैसे पहुंचे--मुक्तेश्वर महादेव मंदिर बख्शी का तालाब के देवरी रुखारा ग्राम पंचायत में स्थापित है।

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बीकेटी कस्बे से इसकी दूरी तीन किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग सीतापुर रोड से करीब आठ सौ मीटर दूर देवरी रुखारा रेलवे क्रासिंग पार करके मंदिर तक पहुंचना होता है।

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