बाल खाने की आदत ने युवती को मौत के मुंह तक पहुंचाया, डॉक्टरों ने कठिन सर्जरी कर बचाई युवती की जान

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। संगम नगरी प्रयागराज के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने बाल खाने की लत से गंभीर रूप से बीमार युवती की आज जान बचाई है। डॉक्टरों ने कठिन सर्जरी कर युवती के पेट से लगभग आधा किलो बालों का गुच्छा (Trichobezoar) निकाला है। सर्जरी के बाद युवती अब पूरी तरह से स्वस्थ है। 

नारायण स्वरूप अस्पताल के डॉक्टरों के इस प्रयास की जमकर सराहना हो रही है। कौशांबी जिले की अंडवा पश्चिम शरीरा सरसावा की रहने वाली 21 वर्षीय मंजू बचपन से ही मानसिक तनाव और व्यवहारगत विकृति से जूझ रही थी। मानसिक असंतुलन के चलते उसे बाल खाने (Trichophagia) की बुरी आदत लग गई थी। वह अक्सर अपनी मां और बहनों के बाल नोचकर खा जाती थी, जिससे धीरे-धीरे उसके पेट में बालों का एक बड़ा गुच्छा (Trichobezoar) बन गया।

कुछ समय बाद मंजू को लगातार पेट में तेज़ दर्द, उल्टी, भूख न लगना और वजन तेजी से गिरने जैसी गंभीर समस्याएं होने लगीं। परिवारजन उसे कई अस्पतालों में ले गए, कई अल्ट्रासाउंड जांचें कराईं गई। लेकिन बीमारी की सही पहचान नहीं हो सकी। कई जांचों के बाद नहीं बीमारी का पता लग रहा था और ना ही कोई डॉक्टर ऑपरेशन को तैयार था।  

परिजन उसे प्रयागराज के मुंडेरा में स्थित नारायण स्वरूप हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। नारायण स्वरूप अस्पताल के निदेशक और सीनियर लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. राजीव सिंह, डॉ. विशाल केवलानी, डॉ. योगेंद्र, और डॉ. राज मौर्य की विशेषज्ञ टीम ने गंभीर स्थिति को समझते हुए तत्परता से इलाज की रूपरेखा बनाई। 
एडवांस तकनीक और अनुभव के आधार पर युवती सफल ऑपरेशन किया गया। सर्जरी से युवती के पेट से बालों की बड़ी गांठ निकाली गई। यह बालों का गुच्छा लगभग आधा किलोग्राम का है। 1.5 फिट लम्बा और 10 सेंटीमीटर मोटा है। 

डॉक्टरों ने युवती के आपरेशन में खाने की थैली (Stomach)को ओपन करके सावधानी पूर्वक पूरे लाखों बाल के गुच्छों को निकाला। हालांकि बाल के गुच्छे आपस में चिपक करके एक आधा किलो का ट्यूमर बना लिए थे जिसे मेडिकल साइंस में (Trichobezoar) कहा जाता है। पूरा गुच्छा निकालने के उपरांत आंत की धुलाई और सफाई करके खाने की थैली को रिपेयर कर दिया गया। आपरेशन करने में लगभग 2 घंटे का समय लगा।

डॉ राजीव सिंह ने बताया कि यह एक जटिल आपरेशन होता है लेकिन मरीज अब बिलकुल पूर्णता स्वस्थ है और नार्मल भोजन कर रहा है और अब उसके मानसिक रोग की बीमारी ठीक हो गयी है । उन्होंने बताया कि मंजू सुरक्षित है, सामान्य भोजन कर पा रही है, और मानसिक परामर्श से भी गुज़र रही है। 
यह मामला एक गंभीर चेतावनी है। मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। बच्चों के व्यवहार में असामान्यता दिखे तो उसे अनदेखा न करें। मानसिक विकृति समय पर पहचान कर उपचार कराना अत्यंत आवश्यक है। शारीरिक लक्षणों के पीछे मानसिक कारण भी हो सकते हैं। 

नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि यह केस बेहद चुनौतीपूर्ण था। पर समय रहते ऑपरेशन कर मरीज की जान बचा ली गई। उन्होंने बताया कि यह घटना बताती है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को साथ लेकर चलना बहुत ज़रूरी है।

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