चुनाव की तिथियां नजदीक, हस्तक्षेप का औचित्य नहीं

Amrit Vichar Network
Published By Pawan Singh Kunwar
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नैनीताल, अमृत विचार: हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने सितारगंज ग्राम सभा क्षेत्र से प्रधान पद के प्रत्याशी बिजेंद्र सिंह को कोई राहत न देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया। पीठ ने कहा कि चुनाव की तिथियां नजदीक आ चुकी हैं इसलिए अब इसमें हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है। 

प्रत्याशी सिंह ने याचिका में बताया कि चुनाव आयोग ने उनके नामांकन पत्र को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उनके द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है जबकि उनके द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की तरफ से पीठ को अवगत कराया गया कि पूर्व के आदेशों के अनुपालन में अतिक्रमणकारियों की जांच कर जो सूची जारी की गई, उसमें बिजेंद्र सिंह  सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के दोषी पाए गए जिन्हें मई माह में नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने को कहा गया था लेकिन उनके द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाया गया। जब इनके द्वारा नामांकन भरा गया तो आयोग ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उनके द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है। उसे हटाने के लिए कई बार नोटिस दिया गया। इस आधार पर उनका नामांकन पत्र रद्द किया गया।

वहीं, पंचायत चुनाव में निर्वाचन आयोग द्वारा डिग्री कॉलेजों के प्राध्यापकों की ड्यूटी पीठासीन अधिकारी के रूप में लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने याचिका को हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश के आधार पर निस्तारित कर दिया।  मामले के अनुसार, कई डिग्री कालेजों के प्राध्यापकों ने याचिका में कहा कि वे क्लास वन कर्मचारी हैं इसलिए उनकी ड्यूटी चुनाव में नहीं लगाई जा सकती। चुनाव में पीठासीन अधिकारी क्लास टू श्रेणी का कर्मचारी होता है। ऐसे में कॉलेज के प्राध्यापकों का रैंक पीठासीन अधिकारी से ऊंचा है इसलिए उन्हें चुनाव ड्यूटी पर नहीं लगाया जाए। 

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