किसानों के लिए खुशखबरी: अरहर की नई प्रजाति पर नहीं लगेगा एसएमडी रोग, पैदावार में होगा इजाफा
कानपुर, अमृत विचार : अरहर की नई प्रजाति पर अब स्टेरिलिटी मोज़ेक रोग (एसएमडी) नहीं लगेगा। भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर (आईआईपीआर) के वैज्ञानिकों ने आईसीआरआईसैट के परस्पर सहयोग से अरहर में स्टेरिलिटी मोज़ेक रोग (एमएमडी) प्रतिरोध के लिए महत्वपूर्ण जीन ‘सीसीएसएमडी04’ की पहचान की है। इस जीन की पहचान के बाद भविष्य में फसल पर लगने वाले रोग के निदान के लिए किसानों के खर्च में भी कमी आएगी।
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर की ओर से बताया गया कि यह खोज किसानों की अरहर की फसल को इस विनाशकारी रोग से बचाने में महत्ती भूमिका निभाएगी। जो अरहर की पैदावार में होने वाली 90 फीसदी तक की कमी को पूरा कर सकता है। वैज्ञानिकों की ओर से खोजा गया यह जीन अरहर की लोकप्रिय किस्म ‘आशा’ में पाया गया है। जो उच्च स्तर का रोग प्रतिरोध प्रदान करता है। शोध टीम के अनुसार रिसर्च में चार इंडेल मार्करों की भी पुष्टि हुई है। जिनकी मदद से प्रजनन कार्यक्रमों में प्रारंभिक अवस्था में ही रोग प्रतिरोधी पौधों का चयन संभव होगा।
बताया गया कि इस जीन को खोजे जाने में पूरी टीम की ओर से लगभग 9 से 10 साल का इंतजार करना पड़ा है। जीन मिलने के बाद अब इसे नई अरहर की प्रजातियों पर शोध के जरिए उपयोग किया जाएगा। बताया गया कि यह उपलब्धि उन्नत जीनोमिक्स, फेनोमिक्स और कंप्यूटेशनल विश्लेषण के माध्यम से संभव हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज न केवल नई रोग-प्रतिरोधी किस्मों के विकास को तेज करेगी, बल्कि भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम योगदान देगी।
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