पुतिन की कूटनीति के आगे पश्चिमी देश और ट्रंप असहाय! शांति समझौता भी नहीं कर पाएगा जेलेंस्की की खास मदद

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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Donald Trump-Zelensky Meeting: अमेरिका के अलास्का में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद परिस्थितियां ऐसी बन रही हैं कि यूक्रेन के लिए शांति समझौता करना भी नुकसानदायक हो सकता है, और न करने पर अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी का साथ खोने का खतरा बन सकता है। हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की शांति समझौते की संभावनाओं से उत्साहित हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं, और शांति समझौता होने पर भी उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
 

व्हाइट हाउस में होगी महत्वपूर्ण बैठक

 
सोमवार को व्हाइट हाउस में जेलेंस्की और ट्रंप के बीच एक अहम मुलाकात होने वाली है। कई यूरोपीय देशों के नेता भी इस बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिका पहुंच रहे हैं। ट्रंप के विशेष सलाहकार स्टीव विटकॉफ ने दावा किया है कि अलास्का में ट्रंप और पुतिन की बातचीत में यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने पर सहमति बनी है। इसके तहत यूक्रेन को नाटो के अनुच्छेद 5 के समान सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर इस सुरक्षा गारंटी को लेकर खुशी जाहिर की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता मिलेगी या नहीं। गौरतलब है कि यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने के लिए ही रूस के साथ युद्ध लड़ा, लेकिन इतने वर्षों की लड़ाई के बाद भी नाटो में उसका प्रवेश अनिश्चित है।
 
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहें तो रूस के साथ युद्ध तुरंत खत्म कर सकते हैं, या फिर वे इसे जारी रख सकते हैं। लेकिन यह याद रखना होगा कि यह युद्ध कैसे शुरू हुआ। क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और नाटो में यूक्रेन का शामिल होना भी संभव नहीं है। कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं!” इसके साथ ही, रूस ने भी सुरक्षा गारंटी की मांग की है। रूस का कहना है कि अगर यूक्रेन को सुरक्षा दी जा रही है, तो पश्चिमी देशों को रूस को भी ऐसी गारंटी देनी होगी।
 

यूक्रेन को खोना पड़ सकता है बड़ा भूभाग

 
राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि शांति समझौते के लिए यूक्रेन को क्रीमिया पर अपना दावा छोड़ना पड़ सकता है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी स्पष्ट कहा है कि शांति के लिए यूक्रेन को अपने खोए हुए क्षेत्रों को छोड़ना होगा। हालांकि, जेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि वे अपने किसी भी क्षेत्र पर दावा नहीं छोड़ेंगे। फिर भी, ट्रंप और अन्य यूरोपीय नेता यूक्रेन पर दबाव डाल सकते हैं। यदि ऐसा हुआ, तो यूक्रेन को अपने बड़े भूभाग से हाथ धोना पड़ सकता है, क्योंकि रूस पहले ही यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर कब्जा कर चुका है।
 
यहां पुतिन की कूटनीतिक चतुराई की तारीफ करनी होगी, जिन्होंने अलास्का बैठक में रूस का पक्ष इतनी मजबूती से रखा कि ट्रंप भी उनकी रणनीति के सामने कमजोर पड़ गए। ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का वादा किया था, और अब उन पर इस वादे को पूरा करने का दबाव है। इस दबाव का सीधा नुकसान यूक्रेन को बातचीत की मेज पर उठाना पड़ सकता है।
 

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