इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिमाग है सेमीकंडक्टर
सेटेलाइट और मिसाइल से लेकर हर स्मार्ट डिवाइस, मोबाइल, कार, ट्रेन और एटीएम कार्ड तक में इस्तेमाल
जैसे ही आप अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप या कंप्यूटर को कोई कमांड देते हैं तो पलक झपकते ही रिजल्ट सामने होता है। ये कमाल एक छोटी सी चिप से होता है, जिसे सेमीकंडक्टर कहते हैं। यह एक महीन सिलिकॉन बेस्ड डिवाइस होती है। इस चिप का साइज काफी छोटा होता है, लेकिन काम काफी बड़े-बड़े अंजाम देती है। हर चिप में लाखों-करोड़ों नैनो स्विच होते हैं, जिन्हें ट्रांजिस्टर कहा जाता है। इनकी मदद से यह चिप इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में दिमाग का काम करती है। बिना इसके कोई भी डिवाइस किसी काम की नहीं है। जिस तरह हमारे दिमाग तक कोशिकाओं के जरिए सिग्नल पहुंचते हैं और वो काम करता है, ठीक उसी तरह ये चिप भी डिवाइस तक जानकारी पहुंचाने का काम करती है।
नाखून जितनी सिलिकॉन निर्मित डिवाइस में होते करोड़ों ट्रांजिस्टर
सेमीकंडक्टर चिप, जिसे माइक्रोचिप या इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) भी कहा जाता है, एक अत्यंत सूक्ष्म लगभग नाखून जितनी सिलिकॉन निर्मित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। इसमें 30 से ज्यादा पर्त होती हैं। इसमें कंडक्टर तांबे जैसा और इंसुलेटर रबर या कांच की तरह होते हैं। छोटे से आकार की यह चिप लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टर समेटे होती है, जो स्विच के रूप में इलेक्ट्रिक करंट को कंट्रोल करते हैं। इससे यह चिप डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज, सिग्नल कन्वर्जन और सिस्टम कंट्रोल जैसे काम करती है।
इसका उपयोग सेटेलाइट के डेटा को एकत्र करने और दुनिया भर में तमाम सिग्नल भेजने के लिए किया जाता है। मिसाइल, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टेलीविजन, ऑटोमोबाइल, मेडिकल डिवाइसेज में भी इस चिप का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। स्मार्टफोन में यह चिप कॉलिंग से लेकर कैमरा और इंटरनेट तक की हर गतिविधि नियंत्रित करती है। स्मार्ट डिवाइसेस, घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों, ट्रेन, एटीएम कार्ड के अलावा संचार और रक्षा उपकरणों में भी इन चिप का जमकर इस्तेमाल होता है।
नई कारों और स्मार्ट फोन के फीचर्स के लिए जरूरी
मोबाइल फोन और कारों में तेजी से हाईटेक फीचर्स को शामिल किया जा रहा है। इन फीचर्स को चलाने के लिए सेमीकंडक्टर की जरूरत पड़ती है। कारों में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल हेड्स अप डिस्प्ले, सेंसर्स, सेलफोन और कम्युनिकेशन इंटीग्रेशन के साथ उच्च दक्षता वाले इंजन के एलिमेंट्स में होता है। इसके अलावा ड्राइवर असिस्टेंस, पार्किंग रियर कैमरा, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन, एयरबैग और इमरजेंसी ब्रेकिंग में भी सेमीकंडक्टर की जरूरत होती है। सेमीकंडक्टर चिप के बिना मौजूदा कारों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कुछ यही हाल स्मार्ट फोन में भी इस चिप का है।
देश को आयात करने पर खर्च करने पड़ते करोड़ों रुपये
तेजी से बदलती और आगे बढ़ती दुनिया में सेमीकंडक्टर काफी बेशकीमती हो गया है। आधुनिक तकनीक और हर उद्योग में इसकी जरूरत से मांग लगातार बढ़ रही है। मोबाइल और स्मार्ट उपकरणों, कंप्यूटरों, आटोमोबाइल, 5-6 जी नेटवर्क, एआई के क्रियान्वयन और डिजिटल प्रौद्योगिकी की बढ़ती खपत ने भारत में भी सेमीकंडक्टरों की मांग को काफी बढ़ा दिया है। अभी भारत सेमीकंडक्टर चिप दूसरे देशों से आयात करता है। इसके लिए देश को डॉलर में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
आधुनिक तकनीक के केंद्र में हैं सेमीकंडक्टर चिप्स
सेमीकंडक्टर आधुनिक तकनीक के केंद्र में हैं। यह चिप स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, संचार, रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र की आवश्यक प्रणालियों का आधार बन चुकी है। देश के चंद्रयान 3 मिशन में, विक्रम लैंडर ने अनेक जटिल निर्णय लेते हुए स्वयं ही सुरक्षित लैंडिंग स्थल खोजने के लिए भारतीय तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग किया। इस प्रकार, मस्तिष्क की तरह काम करते हुए, सेमीकंडक्टर चिप्स, भारी डेटा को संसाधित कर मशीनों को निर्णय लेने में मदद करती हैं।
डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन ने आर्थिक सुरक्षा-स्वतंत्रता से जोड़ा
दुनिया जैसे-जैसे डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन की ओर बढ़ रही है, सेमीकंडक्टर आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता का अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं। हर कहीं तेज, अधिक कुशल और कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग बढ़ रही है। डिजिटल प्लेटफार्म, स्मार्ट उपकरणों और कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर से उत्पन्न विशाल मात्रा में डेटा को संसाधित और संग्रहीत करने के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर-आधारित प्रणालियों पर निर्भरता बढ़ रही है। इससे उच्च प्रदर्शन, ऊर्जा कुशल चिप की आवश्यकता बढ़ रही है, जो वास्तविक समय में जटिल कंप्यूटिंग कार्यों को संभाल सकें।
पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप इस साल के अंत तक
वर्तमान में, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमरीका जैसे देश सेमीकंडक्टर उद्योग पर हावी हैं। ताइवान दुनिया के 60 फीसदी से अधिक सेमीकंडक्टर का उत्पादन करता है, जिसमें लगभग 90 फीसदी सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर शामिल हैं। भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का आकार 2024-2025 में 45 से 50 अरब डॉलर था, जो 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत को सेमीकंडक्टर नवाचार और विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये के निवेश से सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। इसे इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप इस वर्ष उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगी। फिलहाल, पांच उत्पादन इकाइयां निर्माणाधीन हैं, जो घरेलू क्षमता के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी।
लेखक: अमित नारायन, सीएमडी, नारायना मेडिकल कॉलेज, कानपुर
