UKSSSC Paper Leak: सीबीआई जांच की मांग को लेकर युवाओं का प्रदर्शन जारी, कांग्रेस का भी मिला साथ

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की परीक्षा में हुए कथित पेपर लीक मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग को लेकर आंदोलनरत बेरोजगारों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध शुक्रवार को भी बना रहा। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसी एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग करते हुए प्रदेशव्यापी धरना दिया। आयोग द्वारा रविवार को आयोजित स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के एक प्रश्नपत्र के तीन पन्ने कथित तौर पर लीक होने के विरोध में यहां परेड ग्राउंड के बाहर तंबू लगाकर 'उत्तराखंड बेरोजगार संघ' के बैनर तले अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे बेरोजगारों को मनाने की राज्य सरकार की कोशिशें शुक्रवार को भी रंग नहीं लायीं। देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने धरनास्थल पर जाकर आंदोलनरत बेरोजगारों से बातचीत की और उन्हें राज्य सरकार द्वारा इस प्रकरण पर उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उनसे अपना आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया। 

बंसल ने कहा, ‘‘हमने छात्र-छ़ात्राओं को बताया है कि सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए विशेष अन्वेषण दल (एसआईटी) गठित किया है और इस जांच की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया है।’' हालांकि, इस बारे में संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला और जब तक “परीक्षा में अनियमितताओं” की जांच सीबीआई से कराए जाने सहित उनकी सभी मांगें नहीं मानी जातीं, वे धरने पर डटे रहेंगे। बेरोजगार संघ, आयोग के अध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया का तत्काल इस्तीफा, परीक्षा को निरस्त करने तथा आरक्षी भर्ती नियमावली को संशोधित किए जाने की भी राज्य सरकार से मांग कर रहा है। 


उधर, कांग्रेस ने उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई जांच की अपनी मांग को लेकर प्रदेशभर में धरना दिया तथा चेतावनी दी कि मांग नहीं माने जाने की स्थिति में तीन अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा। कांग्रेस ने प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरना दिया और जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रदेश के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) को ज्ञापन भेजा। यहां देहरादून में धरने की अगुवाई करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस मुद्दे पर सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। माहरा ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार के संरक्षण में पेपरलीक माफिया फल—फूल रहा है और प्रदेश का युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है। उन्होंने कहा, ‘'राज्य सरकार के सख्त नकल विरोधी कानून के दावे के बावजूद यूकेएसएसएससी परीक्षा का पेपर लीक हो गया। कानून 'वीक' है या सरकार 'वीक' है।’' 

माहरा ने कहा, ‘‘प्रदेश के नौजवानों की पीड़ा अब असहनीय हो गई है और उसे दूर करने का एकमात्र रास्ता इस निकम्मी और भ्रष्ट सरकार से छुटकारा पाना ही है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगर उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई जांच की घोषणा नहीं करती तो तीन अक्टूबर को हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास का घेराव करेंगे। मामले में पुलिस परीक्षा में अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुए खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है जबकि राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बीएस वर्मा की निगरानी में एसआईटी का गठन किया है। 

देहरादून की ग्रामीण पुलिस अधीक्षक जया बलूनी की अध्यक्षता में गठित इस एसआईटी की जांच के दायरे में पूरा प्रदेश होगा और यह एक माह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके अलावा, राज्य सरकार ने लापरवाही बरतने के आरोप में हरिद्वार में परीक्षा संपन्न कराने के लिए नियुक्त सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी, हरिद्वार में परीक्षा केंद्र पर तैनात दरोगा रोहित कुमार और सिपाही ब्रह्मदत्त जोशी को निलंबित कर दिया है। खालिद द्वारा मोबाइल से फोटो खींचकर भेजे गए प्रश्नपत्र के 'सॉल्वर' की भूमिका में रही टिहरी के एक महाविद्यालय में इतिहास की सहायक प्रोफेसर सुमन को भी मामले में निलंबित किया गया है।

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