कानपुर : APK फाइल भेजकर खाते से उड़ाए 2.70 करोड़, साइबर सेल ने 90 लाख कराए फ्रीज
कानपुर, अमृत विचार। ऑनलाइन सेवाओं व मोबाइल एप पर निर्भरता के इस डिजिटल युग में साइबर अपराधी भी ठगी के नए रास्ते अपना रहे हैं। ऑनलाइन सेवाओं की निर्भरता देख व्हाट्सएप और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर अपराधियों ने भी लोगों को अपने जाल में फंसाने का नया तरीका निकाला।
बीते दिनों में आरटीओ चालान, शादी का कार्ड, बीमा पॉलिसी आदि के नाम से एपीके फाइल भेजने की संख्या में इजाहा हुआ है। इससे लोगों को ठगी का शिकार भी बनाया गया। तीन-चार महीनों में एपीके फाइल से ठगी के 43 मामले सामने आए। जिनमें 2.70 करोड़ रुपये की ठगी की गई। साइबर सेल ने 90 लाख कराए फ्रीज कराए।
साइबर अपराधियों का समय-समय पर ठगी का अंदाज बदलता रहा है। जिसमें चर्चा में रहे मैट्रीमोनियल साइट्स, हनी ट्रैप, हाउस अरेस्ट। उसके बाद डिजिटल निर्भरता को देखकर एपीके फाइल से ठगी साइबर ठगों का आसान तरीका बना। शादी का कार्ड, बीमा पॉलिसी, बैंक किस्त, आरटीओ का चालान की एपीके फाइल भेजकर साइबर अपराधी लोगों की कमाई का मोटा हिस्सा पार करने लगे। कई जगह तो अकाउंट की खाली कर दिया।
एपीके फाइल से ठगी के मामले
1- श्यामनगर में रहने वाले सुयश पाठक एपीके फाइल से ठगी का शिकार हुए। उन्होंने बताया कि सेल्स के काम के सिलसिले में 13 जुलाई को महाराजपुर गए थे। शाम को लौटने समय थाने से कुछ दूरी पर कई लोगों ने हाथ से रुकने का इशारा किया तो रुक गए। उनके वाहन में नंबर प्लेट एचएसआरपी नहीं थी, इसलिए वर्दी पहने व्यक्ति ने फोटो खींच ली और ऑनलाइन चालान की बात कही। 15 जुलाई को घर पर थे, तभी आरटीओ लिखी एपीके फाइल व्हाट्सएप पर आई। चालान समझकर ऑनलाइन भरने के लिए लिंक पर क्लिक करते ही दूसरा लिंक खुल गया। क्लिक करने के बाद भी जब भुगतान नहीं हुआ तो मोबाइल रख दिया। सुबह उठने पर बैंक के कई मैसेज देखे। जानकारी की तो पता चला कि खाते में जमा 2.11 लाख रुपये निकल गया। थाने में जानकारी दी तो पता चला साइबर फ्राड हुआ है।
2-मंधना की रहने वाली रागिनी स्वरूपनगर में पॉर्लर में काम करती हैं। उनके अनुसार तीन अगस्त को काम खत्म करके घर जा रही थी, तभी आईआईटी से थोड़ा आगे उनकी स्कूटी को हाथ देकर कई लोगों ने रोक लिया। नंबर प्लेट की फोटो खींची और ऑनलाइन चालान होने की बात कही। उसके बाद वह घर चली गई। छह अगस्त को मोबाइल पर मैसेज आया। मैसेज एपीके फाइल थी। लिंक खोलने पर न आरटीओ की साइट खुली और न ही यातायात पुलिस की। खाते से रुपये न कट जाएं, यह सोचकर बंद कर दिया। सुबह सोकर उठीं तो खाते में जमा 67 हजार रुपये निकल गए थे। पुलिस से पता चला कि साइबर ठगी हुई है।
3-बिधनू निवासी संतोष यादव इंटर कालेज में शिक्षक हैं और यशोदानगर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि 18 अगस्त को वह स्कूल से लौट रहे थे। रास्ते में उनकी बुलेट की आवाज और प्रदूषण के कागज न होने पर नंबर प्लेट की फोटो खींची गई। इसके बाद वह घर चले गए। 22 अगस्त को मोबाइल पर एक एपीके फाइल आई और लिंक पर क्लिक करते ही दूसरा लिंक खुल गया। इसके बाद ही अचानक मोबाइल का नेटवर्क ही चला गया। अगले दिन जब स्कूल जाने के लिए निकले तो मोबाइल पर एक के बाद एक सात मैसेज आ गए। उनके खाते में जमा 1.63 लाख रुपये निकल गए थे। मैसेज आ रहा था, इसलिए घबराकर मोबाइल बंद कर दिया। पुलिस से पता चला कि साइबर ठगी हुई है। उन्होंने बताया अगर मोबाइल स्विच ऑफ न करते तो खाता खाली हो जाता।
4-लालबंगला में रहने वाले बर्तन कारोबारी विमलेश अग्रवाल उन्नाव तगादा करने गए थे। उन्होंने बताया कि वहां से लौटते समय अचलगंज मोड़ से आगे निकले तभी चार लोगों ने कार को हाथ देकर रोक लिया। उन्होंने बताया कि कागजात में कुछ भी कमी नहीं थी, इसलिए कार रोक दी। रुकते ही एक व्यक्ति ने आगे व पीछे नंबर प्लेट की फोटो खींच ली और जाने का इशारा किया। वह घर आ गए। दो दिन बाद मोबाइल पर मैसेज आया। उन्होंने एपीके फाइल खोलकर देखा तो कुछ पता नहीं चला। दो दिन बाद अचानक मैसेज आया कि खाते से 1.93 लाख रुपये निकल गए। पुलिस से इसकी शिकायत करने पर पता चला कि साइबर ठगी के शिकार हो गए है।
फाइल क्लिक करते ऑपरेटिंग सिस्टम होता हैक
साइबर जानकारों की माने तो एपीके फाइल में नीचे की तरफ एक लिंक होता है। जिसे क्लिक करते ही मोबाइल का ऑपरेटिंग सिस्टम अचानक हैक हो जाता है। उसके बाद मोबाइल पर एक और लिंक दिखने लगता है। जिसे क्लिक करते ही खाते की जानकारी साइबर शातिरों तक पहुंचने लगती है। कुछ ही देर में पहुंच जाती है। उसके बाद मोबाइल की हर एक गतिविधि शातिरों को दिखने लगती है। साइबर शातिर रात होने का और मोबाइल की स्क्रीन बंद होने का इंतजार करते हैं। उसके बाद खाते से पैसा पार हो जाता है। कई बार खाते खाली हो जाते हैं। इसी बीच अगर मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया तो संभव है कि बची रकम बचाई जा सके।
आरटीओ हो या ट्रैफिक पुलिस ऑनलाइन चालान की एपीके फाइल कभी जारी नहीं किया जाता। अगर मोबाइल पर एपीके फाइल दिखे तो समझ जाएं कि यह ठगों का भेजा मैसेज है। सावधान हो जाएं, उसे खोले मत.. अर्चना सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक।
