ईरान की निडर आवाज़: एक्ट्रेस तारानेह अलीदूस्ती
तारानेह अलीदूस्ती, एक ऐसा नाम है, जो ईरानी सिनेमा के साथ-साथ वहां के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 12 जनवरी 1984 को तेहरान में जन्मीं तारानेह एक अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने अपनी कला और साहस दोनों से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
अभिनय की शुरुआत और ऑस्कर तक का सफर
अलीदूस्ती ने बहुत कम उम्र में ही अभिनय की दुनिया में कदम रख दिया था। 17 साल की उम्र में उनकी पहली फिल्म ‘आई एम तारानेह, 15’ (2002) रिलीज हुई, जिसमें उनके अभिनय को खूब सराहा गया और उन्होंने कई पुरस्कार जीते। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सफलता 2016 में आई फिल्म ‘द सेल्समैन’ थी, जिसे असगर फरहादी ने निर्देशित किया था। इस फिल्म ने 89 वें अकादमी पुरस्कारों (ऑस्कर) में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म का पुरस्कार जीता। इस फिल्म के माध्यम से उन्हें वैश्विक पहचान मिली। हालांकि उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी यात्रा प्रतिबंधों के विरोध में ऑस्कर समारोह का बहिष्कार किया था, जो उनके राजनीतिक रुख का पहला बड़ा संकेत था।
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सामाजिक सक्रियता और जेल यात्रा
तारानेह अलीदूस्ती की प्रसिद्धि सिर्फ उनके अभिनय तक ही सीमित नहीं है। वह ईरान में महिलाओं के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की एक मुखर समर्थक रही हैं। 2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में हुए राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के दौरान, वह प्रदर्शनकारियों के समर्थन में खुलकर सामने आईं। दिसंबर 2022 में, उन्होंने सोशल मीडिया पर हिजाब के बिना अपनी एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्होंने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में एक बैनर पकड़ा हुआ था। इस साहसिक कदम के बाद ईरानी अधिकारियों ने उन्हें ‘झूठ फैलाने’ और ‘देश विरोधी प्रचार’ के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। 18 दिनों तक जेल में रहने के बाद, उन्हें जनवरी 2023 में जमानत पर रिहा कर दिया गया। उनकी गिरफ्तारी ने दुनियाभर में मानवाधिकार संगठनों का ध्यान खींचा और उनकी रिहाई के लिए व्यापक अभियान चलाए गए।
एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
तारानेह अलीदूस्ती आज सिर्फ एक ऑस्कर विजेता अभिनेत्री नहीं हैं, बल्कि वह ईरान में बदलाव की एक प्रतीक बन गई हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि कला और सामाजिक जिम्मेदारी एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। उनका जीवन और संघर्ष उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो दमनकारी व्यवस्था के खिलाफ खड़े होने का साहस करते हैं।
