लखीमपुर खीरी : बाघ के हमले में बच्ची की मौत पर उबाल, ग्रामीणों ने दुधवा मुख्यालय को घेरा

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Published By Pradeep Kumar
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एसडीएम, थानाध्यक्ष व वन विभाग के अधिकारी समझाने में जुटे

पलिया कलां, अमृत विचार। पटिहन के मजरा गांव खुशीपुर में बाघ के हमले में बालिका की मौत के बाद शुक्रवार दोपहर पूरे क्षेत्र में आक्रोश उफान पर पहुंच गया। बच्ची के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद जैसे ही उसके गांव लौटने की सूचना ग्रामीणों को मिली, सैकड़ों लोगों का जनसमूह दुधवा मुख्यालय पलिया पहुंच गया और मुख्यालय गेट पर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गया। प्रदर्शनकारी बालिका के शव को दुधवा गेट पर मंगाने की मांग कर रहे थे। इससे पार्क प्रशासन, पुलिस और प्रशासनिक अफसरों में हड़ंकप मच गया। मौके पर पहुंचे अधिकारी ग्रामीणों को समझाने में जुटे हैं, लेकिन ग्रामीण  मांगों को पूरा करने की जिद पर अड़े हैं। 

गुरुवार की शाम करीब 6:40 बजे गांव खुशीपुर निवासी अभिमन्यु की 11 साल की बेटी डिंपल अपनी दादी के साथ पास में लगे नल पर पानी लेने जा रही थी। इसी बीच बाघ ने उस पर हमला कर दिया और गर्दन दबोच कर गन्ने के खेत में खींच ले गया था। मौके पर पहुंचे तमाम ग्रामीणों ने जब खेत की कांबिंग की तो उसका शव बरामद हुआ। मौके पर पहुंची पुलिस और वन विभाग के अफसरों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था और शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा था। शुक्रवार को सैकड़ों गांव वाले दोपहर बाद दुधवा मुख्यालय पलिया पहुंचे और नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। उसी समय लखीमपुर से पोस्टमार्टम होकर आया बच्ची का शव स्थानीय पुलिस ने दूसरे रास्ते से सीधे गांव भिजवा दिया। इससे ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और वे बड़ी संख्या में दुधवा मुख्यालय के गेट पर एकत्र होकर हंगामा करने लगे। प्रदर्शनकारियों के आक्रोश को देखते प्रशासनिक अफसरों के चेहरे पर पसीना आ गया। ग्रामीण व परिजन बच्ची के शव को धरना स्थल पर मंगवाने की जिद करने लगे लगे। बवाल की सूचना पर एसडीएम डॉ. अवनीश कुमार, थानाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी एवं वन विभाग के कई अधिकारी धरना स्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण वन विभाग की घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बच्ची का शव गांव से  धरना स्थल पर मंगवाने की जिद पर अड़ गए। धरने पर खुशीपुर, पटिहन , गजरौरा ,मुजहा आदि के अनेक स्त्री पुरुषों के अतिरिक्त राम बसंत, महेंद्र सिंह, राम केवल, हीरालाल,तपेश्वर,चंदन सिंह, जरनैल सिंह, मंदीप मौर्य, संदीप सिंह ,गोल्डी, रामचंद्र गौतम, दिनेश कुमार, जीत सिंह ,आरती राय आदि बैठे हुए हैं। अधिकारी धरना देने वाले ग्रामीणों को समझाने में जुटे हुए हैं, लेकिन वह मांगे पूरी करने पर अड़े हुए हैं। 

ग्रामीण बोले, वन विभाग की लापरवाही से गई जान
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि क्षेत्र में पिछले कई दिनों से बाघ देखा जा रहा था, जिसकी जानकारी भी वन विभाग के अधिकारियों को दी गई थी। अधिकारी सिर्फ सतर्क रहने और बाघ को जल्द पकड़ने का आश्वासन देते रहे, लेकिन बाघ को पकड़ने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए। घटना के बाद भी घटना के बाद भी वन विभाग और प्रशासन का रवैया उपेक्षापूर्ण रहा है। 

ग्रामीणों ने रखी यह मांगें
ग्रामीणों ने अफसरों के साथ मांग रखी कि बाघ हमले में मारी गई डिंपल के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिलाया जाए। घर के एक सदस्य को वन विभाग में नौकरी, आवासीय पट्टा व आवास उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा बाघ को ट्रेंकुलाइज कर या पिंजड़ा लगाकर पकड़ा जाए। काफी जद्दोजहद के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने परिजनों को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिलाने, बाघ पकड़कर दूसरी जगह जंगल में ले जाकर छोड़ने आवासीय पट्टा एवं आवास दिए जाने का आश्वासन दिया, लेकिन परिजन और ग्रामीण मांगे पूरी होने के बाद ही धरना समाप्त करने की जिद पर अड़े हैं। अफसर सभी को मनाने में जुटे हुए हैं। गांव में तैनात पुलिस बच्ची के शव को पलिया नहीं लाने दे रही है।

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