राम नगरी अयोध्या : इतिहास में दर्ज हो रही है एक-एक तिथि 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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राम मंदिर शिलान्यास फिर प्राण प्रतिष्ठा और अब ध्वजारोहण। एक एक तिथि अब इतिहास में दर्ज हो रही है। अयोध्या की अलौकिकता अदभुत बन गई है। शिलान्यास के बाद से रामनगरी में निरंतर विशिष्ट आयोजनों की श्रंखला नए कीर्तिमान गढ़ रही है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जहां रामोत्सव के रंग क्षितिज पर छाए थे, वहीं योगी सरकार द्वारा लगातार आठ भव्य दीपोत्सव के आयोजनों ने अयोध्या को विश्व पटल पर आच्छादित कर दिया। अब जब राम मंदिर पूर्ण स्वरुप में अपनी आभा बिखेर रहा है तो 25 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा होने वाला ध्वजारोहण अनुष्ठान उत्सव रामनगरी के लिए ही नहीं बल्कि सनातन समाज को आह्लादित कर देने वाला है। 

रामजन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर ने अब अपना पूर्ण स्वरूप धारण कर लिया है। शिलान्यास के पावन क्षण से शुरू हुई यात्रा अब ध्वजारोहण के साथ एक और स्वर्णिम अध्याय लिखने को तैयार है। 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भगवा ध्वज चढ़ाकर मंदिर को पूर्णता प्रदान करेंगे। यह आयोजन केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पांच सदी के संकल्प की पराकाष्ठा है। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री ने जब राम मंदिर का शिलान्यास किया था, तब करोड़ों रामभक्तों की आंखें नम थीं। उस दिन अयोध्या ने सदियों का इंतजार समाप्त होते देखा।

फिर 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के साथ रामलला अपने नवीन मंदिर में विराजमान हुए। देश-दुनिया के कोने-कोने से आए श्रद्धालु उस अलौकिक दृश्य के साक्षी बने जब प्रभु श्रीराम की मूर्ति में प्राण फूंके गए। अब जब मंदिर का गर्भगृह, नृत्य मंडप, सिंह द्वार और भेय खंड पूरे हो चुके हैं, तब ध्वजारोहण का क्षण आया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा ध्वजारोहण को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर लीं गईं हैं। राम मंदिर में ध्वजारोहण को लेकर विशेष अनुष्ठान भी प्रारम्भ हो गया है।

अनुष्ठान से पहले निकली कलश यात्रा ने नई आध्यात्मिक चेतना का संचार किया है। अयोध्यावासियों ही नहीं संपूर्ण सनातन समाज को प्राण प्रतिष्ठा की तरह ही अब राम मंदिर पर लहराने वाली धर्म ध्वज पताका की प्रतीक्षा हैं। राष्ट्रीय बौद्धिक परिषद प्रमुख विजयशंकर पांडेय कहते हैं यह सनातन समाज के स्वप्नों का पूर्ण साकार रूप है, मंदिर पर ध्वजारोहण विश्व में मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रति श्रद्धा के नवीन प्रकटीकरण का संवाहक होगा। 

योगी सरकार के अयोध्या को आध्यात्मिक राजधानी का संकल्प भी पूर्ण 

योगी आदित्यनाथ सरकार ने आठ वर्षों में अयोध्या को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने का जो संकल्प लिया था, वह अब साकार हो रहा है। दीपोत्सव के आठ आयोजन तो केवल झांकी थे। 2024 में 28 लाख दीपों ने जब सरयू तट को दुल्हन की तरह सजाया था, तब दुनिया ने देखा कि रामनगरी अब वैभव की नई परिभाषा लिख रही है। चौदह कोसी और पंचकोसी परिक्रमा मार्ग, नव्य सरयू घाट, राम की पैड़ी हर ओर भव्यता का विस्तार हुआ है।

ऐतिहासिक है 25 नवम्बर ध्वजारोहण दिवस 

25 नवंबर का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह कार्तिक पूर्णिमा के ठीक बाद का दिन है। वैदिक परंपरा में ध्वज को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। जब 191 फिट ऊंचे ध्वजदंड पर 36 फिट लंबा भगवा ध्वज फहराया जाएगा, तब ऐसा प्रतीत होगा मानो स्वयं भगवान सूर्य राम मंदिर को अपनी किरणों से अभिनंदन कर रहे हों।

तीर्थ ही नहीं विश्व सांस्कृतिक धरोहर बनी अयोध्या 

अयोध्या अब केवल तीर्थ नहीं, विश्व की सांस्कृतिक धरोहर बन चुकी है। जहां कभी खंडहर थे, वहां आज 67 एकड़ में फैला मंदिर परिसर खड़ा है। तीन मंजिला यह मंदिर नागर शैली में बना है।जिसमें 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं। अब ध्वजा की छाया में जब रामलला विराजेंगे, तब सचमुच यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि रामराज्य की पहली किरण फूट पड़ी है।25 नवंबर को जब प्रधानमंत्री ध्वज चढ़ाएंगे, उस क्षण करोड़ों भारतीयों का हृदय एक ही स्वर में गूंजेगा जय सिया राम। यह ध्वजारोहण केवल एक झंडे का चढ़ाना नहीं होगा, यह 500 वर्षों के तप, त्याग और संघर्ष का विजय पताका होगा जो सनातन धर्म के पुनर्जागरण का घोष करता हुआ आकाश में लहराएगा।