बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, अब योग बदरी पांडुकेश्वर में होगी शीतकालीन पूजा

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

चमोली। विश्व प्रसिद्ध और भारत के चार धामों में एक उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट विधि विधान के साथ मंगलवार को अपराह्न दो बजकर 56 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। अब योग बदरी पांडुकेश्वर में शीतकालीन पूजा होगी।

इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु दिव्य अनुष्ठान के साक्षी बने। भक्ति मय माहौल और शास्त्रीय विधि विधान के साथ भू बैकुंठ बदरीनाथ धाम में बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद हुये। देश के अलग अलग राज्यों से 25 हजार से अधिक श्रद्धालु बदरीनाथ कपाट बंद होने के अनुष्ठान के साक्षी बने।

सेना की भक्तिमय बैंड धुनों और श्रद्धालुओं की आस्था की सामूहिक जय घोष और बदरी विशाल लाल की जय के बीच मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान स्थानीय कलाकारों वह महिला मंगल दल बामणी, माणा की महिलाओं ने सामूहिक लोक नृत्य प्रस्तुत किया और बदरी विशाल के जागर लगे। बदरीनाथ के कपाट बंद होने से पूर्व अपराह्न एक बजे से प्रक्रिया शुरू हुई।

रावल अमरनाथ नंबूदरी धर्म अधिकारी और वेदपाठी रविंद्र भट्ट तथा आचार्य ने कपाट बंद की प्रक्रिया पूरी की । जिसके बाद उद्धव और कुबेर जी के विग्रह को मंदिर परिसर में लाया गया। इसके बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेश धारण कर मां लक्ष्मी को मंदिर से बदरीनाथ मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान बदरी विशाल के सानिध्य में विराजमान किया।

जिसके बाद माणा गांव की अविवाहित बालिकाओं द्वारा बुनकर तैयार किया गया भगवान बदरी विशाल को घृत कंबल ओढ़ाया गया। इसके बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा नियत समय पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधिकारियों, कर्मचारी धर्मअधिकारी वेद पाठियों की उपस्थिति में मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए।

संबंधित समाचार