Bareilly : अधिक कोहरे से दलहनी-तिलहनी फसलों पर मंडराया खतरा

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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जिले में 72 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में होती है इन फसलों की खेती

बरेली, अमृत विचार। गिरते तापमान और घने कोहरे से दलहनी और तिलहनी फसलों को नुकसान हो सकता है। इन फसलों में रोग लगने और फूल झड़ने की आशंका बढ़ गई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फूल आने की अवस्था में मौसम का थोड़ा सा प्रतिकूल असर भी नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आने वाले दिनों में कोहरे की तीव्रता और बढ़ती है तो उत्पादन पर असर पड़ेगा।

जिले में 72 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में दलहनी और तिलहनी फसलों की खेती की जाती है, जिनमें चना का क्षेत्रफल 65 हेक्टेयर, मटर का सात हजार, मसूर का 7813, तोरई का 15, 687 और लाही का क्षेत्रफल 42 हजार हेक्टेयर है। इन फसलों में इस समय फूल निकल रहे हैं। कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक डाॅ. वीरेंद्र का कहना है दलहनी और तिलहनी फसलों के फूल ज्यादा देर तक नमी और कोहरे को सहन नहीं कर पाते, जिससे उनके गिरने का खतरा रहता है। आने वाले दिनों कोहरे की तीव्रता बढ़ेगी इससे असिंचित क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि वहां नमी संतुलन बनाए रखना कठिन होता है।

दो हजार हेक्टेयर में आलू की खेती
कोहरे का असर आलू की फसल पर भी पड़ सकता है। जिले में लगभग दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती की जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक दिनों तक कोहरा बने रहने पर आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ सकता है। इससे आलू के उत्पादन में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी आने की आशंका है। किसानों को सलाह दी गई है कि वह मौसम पर नजर रखें और फसलों की सुरक्षा के लिए समय रहते आवश्यक उपाय करें।

कोहरे से दलहनी और तिलहनी फसलें प्रभावित हो सकती हैं। बचाव के लिए फसल में नमी बनाए रखना आवश्यक है। कोहरे से बचाव के लिए खेत की मेड़ पर धुआं कर सकते हैं। हालांकि जिले में कोहरे अभी उस स्तर का नहीं है, जिससे फसलों पर असर पड़े। -ऋतुषा तिवारी, जिला कृषि अधिकारी।

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