रिटायर्ड CRPF जवान की खतौनी से गायब मिली पुश्तैनी जमीन, रिकॉर्ड में गड़बड़ी का आरोप
रामनगर। उत्तराखंड में नैनीताल जिले के रामनगर स्थित आपदाग्रस्त चुकुम गांव के प्रस्तावित विस्थापन को लेकर अब विवाद गहराता जा रहा है। गांव के विस्थापन से पहले ही केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान की खतौनी से जमीनों के रिकॉर्ड में कथित गड़बड़ी के आरोप सामने आए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा ने प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इसे एक साजिश करार दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि चुकुम गांव के विस्थापन से पहले ही पुराने ग्रामीणों के नाम खतौनियों से जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा विस्थापन की रिपोर्ट शासन-प्रशासन और सरकार को भेज दी गई है लेकिन विस्थापन की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही भूमि अभिलेखों में बदलाव किया जा रहा है जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि कई पुराने ग्रामीणों के नाम नई खतौनी में दर्ज ही नहीं किए गए हैं।
विशेष रूप से उन्होंने गोविंद सिंह का मामला उठाते हुए बताया कि उनकी भूमि खाता संख्या 31, 46 और 29 में दर्ज थी लेकिन नई खतौनी से उनका नाम हटा दिया गया है। आरोप है कि ग्रामीणों की पुश्तैनी जमीन को नई खतौनी में "टाइप" ही नहीं किया गया, जिससे नाम रिकॉर्ड में दिखाई नहीं दे रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि यदि किसी की जमीन जलमग्न भी हो चुकी है, तो उसे जलमग्न भूमि के रूप में दर्ज कर प्रभावित व्यक्ति को उसका पूरा अधिकार मिलना चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब खतौनी से ही नाम गायब कर दिया जाएगा, तो विस्थापन के दौरान मुआवजा या भूमि का लाभ कैसे मिलेगा, इस संबंध में उन्होंने उप जिलाधिकारी रामनगर और जिलाधिकारी नैनीताल को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त होकर गांव लौटे हीरा सिंह ने भी दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता का नाम चंदन सिंह और दादा का नाम गोविंद सिंह है, वह लंबे समय तक सीआरपीएफ में देश की सेवा करते रहे और दो नवंबर को सेवानिवृत्त होकर घर लौटे।
जब उन्होंने दस्तावेजों की जांच की, तो पता चला कि उनके दादा गोविंद सिंह का नाम नई खतौनी से हटा दिया गया है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वारिसान हक के तहत दी जाए, क्योंकि उनके पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं। वहीं इस पूरे मामले पर उप जिलाधिकारी रामनगर प्रमोद कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वे कराया गया है।
उन्होंने बताया कि सभी मकानों और भूमि का सर्वे कर कुल रकबे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। कुमार ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति का नाम नई खतौनी में दर्ज नहीं हुआ है, तो वह अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर नाम दर्ज करा सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भूमि के बदले भूमि का प्रावधान है और किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
