गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ा रहा चुन्ना मियां का मंदिर
रेली गंगा-जमुनी तहजीब वाला शहर है। इस तहजीब को कटरा मान राय का लक्ष्मी नारायण मंदिर आगे बढ़ा रहा है। सबसे मुख्य बात यह है कि इस मंदिर को शहर के सेठ फजलुर्रहमान उर्फ चुन्ना मियां ने अपनी जमीन दान में देने के साथ पैसा देकर बनवाया था। इस वजह से इस मंदिर का नाम चुन्ना मियां भी पड़ गया और अब यह मंदिर चुन्ना मियां के नाम से भी प्रसिद्ध है। पास में ही आलमगीरीगंज में राजेंद्र शर्मा एक मस्जिद के केयर टेक हैं। यहां की गलियों में एक तरफ आरती की धुन सुनाई देती है, तो दूसरी ओर अजान होती है। दोनों जगहों से सौहार्द के सुर निकलते हैं, उससे शहरवासी सुकून महसूस करते हैं।- अभिषेक मिश्रा, बरेली
मस्जिद की जिम्मेदारी उठाते हैं शर्मा जी
आज से करीब 300 वर्ष पहले नया टोला आलमगिरिगंज निवासी पंडित दासीराम शर्मा ने खंडहरनुमा मस्जिद का पुनर्निमाण कराया था। इसे शर्मा जी की मस्जिद या बुध वाली मस्जिद भी कहा जाता हैं। मान्यता है कि यहां जो भी लगातार सात बुधवार को इबादत के लिए आता है, उसकी मन्नत पूरी होती है। आज भी इस मस्जिद की एक चाबी शर्मा जी के वंशज संजय शर्मा के पास रहती है।
मुनि हरिमिलापी ने किया था चुन्ना मियां का हृदय परिवर्तन
कटरा मानसराय में भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद भारत आए सिंधी, हिंदू, पंजाबी परिवार के लोग यहां आकर बस गए। वह यहां आकर रहने लगे, लेकिन उनके पास पूजा-पाठ करने के लिए कोई मंदिर नहीं था, जिसके बाद उन्होंने चुन्ना मियां की खाली पड़ी जमीन पर ही मूर्ति रखकर पूजा-पाठ करने लगे थे, जिसके बाद इसका विरोध चुन्ना मियां ने किया। इसके लिए कानूनी कार्रवाई तक की गई। चुन्ना मियां उनकी जमीन पर मंदिर बनाए जाने के खिलाफ थे, लेकिन मुनि हरिमिलापी के बरेली आने पर सेठ फजलुर्रहमान उनसे मिलने आए थे, तब उन्होंने उन्हें समझाया कि सभी प्राणी प्रभु के हैं। शरीर की मंजिल शमशान है और जीवात्मा की मंजिल भगवान है, जिसके बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और मंदिर के लिए जमीन दान दे दी। साथ ही मंदिर निर्माण के लिए डेढ़ लाख रुपये लगाकर अपनी जगह पर मंदिर बनवाया। मंदिर बनाने में चुन्ना मियां ने श्रम दान भी किया। मुनि हरिमिलापी ने ही फजलुर्रहमान को फजले राम बनाकर असीम प्यार दिया।
चार बेटों में अतीकुर्रहमान और अताउर्रहमान ही आते हैं मंदिर
सेठ फजलुर्रहमान के चार बेटों में से अतीकुर्रहमान, अताउर्रहमान ही मंदिर में कभी-कभी पहुंचते हैं, जिसमें अतीकुर्रहमान के दोनों बेटे रामपुर में रहते हैं। वहीं अताउर्रहमान के इकलौते बेटे शकेब रहमान बरेली में निवास करते हैं। शकेब ने बताया कि वह रोज मंदिर नहीं पहुंच पाते हैं। हरिमिलाप ट्रस्ट के लोगों के आने पर वह अक्सर मंदिर जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दादा ने मंदिर के अलावा शहर में कई जगह जमीन के साथ ही स्कूल-कॉलेजों में भी दान किया था।
तत्कालीन राष्ट्रपति ने किया था मंदिर का उद्घाटन
मंदिर के पुजारी प्रमोद मिश्रा ने बताया कि तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने मंदिर का उद्घाटन किया था। उस समय राष्ट्रपति ने हरिमिलापी जी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि आपने हिंदु-मुस्लिम की एकता सुदृढ़ करने वाले मंदिर का निर्माण करवाया है। फजलुर्रहमान ने यह मंदिर बनवाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसके लिए ईराक से संदेश भेजा था। चुन्ना मियां के पौत्र शकेब रहमान ने बताया कि उन्होंने सुना है कि उस समय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लान नेहरू ने उनके दादा के लिए राज्यसभा की सीट देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने राजनीति में जाने से मनाकर दिया था।
