Birthday Special: वॉचमैन से सुपरस्टार कैसे बने नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जानिए पूरी कहानी
मुंबई। नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसा नाम हैं जो लंबे संघर्ष और अपनी अभिनय क्षमता की बदौलत फिल्मी दुनिया के सितारों में शुमार हुए हैं। नवाजुद्दीन ने एक स्टार के तौर पर पहचान हासिल करने से पहले कई तरह के काम किए। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्होंने वॉचमैन का काम किया …
मुंबई। नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसा नाम हैं जो लंबे संघर्ष और अपनी अभिनय क्षमता की बदौलत फिल्मी दुनिया के सितारों में शुमार हुए हैं। नवाजुद्दीन ने एक स्टार के तौर पर पहचान हासिल करने से पहले कई तरह के काम किए। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्होंने वॉचमैन का काम किया है, मसाले बेचे हैं। नवाजुद्दीन के संघर्ष का अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि उन्होंने एक रोल के लिए सौ बार तक ऑडिशन दिये हैं। भले ही ये रोल बेहद छोटा रहा हो। 12 साल के लंबे संघर्ष के बाद नवाजुद्दीन को पहचान दिलाने वाला ब्रेक मिला था। बॉलीवुड में अपने नाम का परचम लहराने वाले नवाजुद्दीन आज अपना 47वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं। आइए जानते हैं नवाज के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें।
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बचपन से फिल्मों के शौकीन थे नवाजुद्दीन
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जिले के बुढ़ाना में हुआ था। नौ भाई बहनों के बीच नवाज सबसे बड़े हैं। उनके पिता एक किसान हैं। नवाज के पिता बताते हैं कि नवाज पूरे साल पैसे जुटाता था और ईद के मौके पर फिल्म देखने जाया करता था, नवाज बचपन से ही फिल्मों के बड़े शौकीन थे।
मां की एक नसीहत ने बदल दी नवाजुद्दीन की जिंदगी
नवाजुद्दीन ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि फिल्मी दुनिया में आने से पहले कई बार अपनी असफलता से वह निराश हुए। लेकिन हताशा के दिनों में उन्हें अपनी अम्मी की एक बात याद आ जाया करती थी, नवाज ने बताया कि उनकी अम्मी कहा करती थी कि ‘बारह साल में तो कूड़े के दिन भी बदल जाते हैं बेटा, तू तो इंसान है’। मां की नसीहत और मेहनत के बलबूते बॉलीवुड के दिल नवाज आज अपनी एक्टिंग और डायलॉग्स से दर्शकों के दिलों में राज करने लगे। युवाओं के प्रेरणाश्रोत बन गए हैं।
वॉचमैन से कैमिस्ट का सफर
जमीन से आसमान की बुलंदियों पर पहुंचने वाले नवाजुद्दीन के लिए फिल्मी सफर इतना आसान नहीं था। एक इंटरव्यू के दौरान नवाज ने इस पर खुलासा किया था। नवाज बचपन से ही अपने गांव से बाहर निकलना चाहते थे, क्योंकि यहां का माहौल कुछ ठीक नहीं था। माहौल अच्छा ना होने की वजह से वह हरिद्वार चले गए। जहां उन्होंने केमिस्ट्री में बीएससी की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद गुजरात के बड़ोद्रा शहर में एक कंपनी में केमिस्ट की नौकरी करने लगे। इस काम में नवाज का मन नहीं लगता था लेकिन पैसे कमाने के लिए कुछ तो करना ही था। इसी बीच एक दिन उनके दोस्त ने उन्हें एक गुजराती नाटक दिखाया। इस नाटक को देख उन्होंने एक्टर बनने का दृढ़ निश्चय किया और स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेने के लिए दिल्ली निकल पड़े। दिल्ली आने के बाद एक्टिंग के साथ अपना खर्चा चलाने के लिए नवाज नोएडा के एक खिलौने की फैक्ट्री में बतौर वॉचमैन काम किया करते थे और शाम के समय एक्टिंग किया करते थे। यहां से नवाज ने साल 1996 में ग्रेजुएशन पूरी की।
साल 2004 में पहुंचे मुंबई
साल 2004 में मजबूत इरादों और अपने हुनर को लेकर नवाज मुंबई पहुंच गए। इस दौरान नवाज के पास घर का किराया तक देने के लिए पैसे नहीं थे। इसके लिए उन्होंने अपने सीनियर से पनाह मांगी, वह घर का किराया शेयर करने के लिए तैयार हो गया। लेकिन उसने शर्त रखी की खाना नवाज को ही बनाना पड़ेगा।
आमिर खान की फिल्म सरफरोश से रखा बॉलीवुड में कदम
नवाज इस आस में मुंबई आए थे कि उन्हें टीवी सीरियल में छोटा मोटा रोल मिल जाएगा। लेकिन उन्हें सीरियल्स में कोई काम नहीं मिला। स्ट्रगल के दौरान नवाज को आमिर खान की फिल्म सरफरोश में जैसे-तैसे एक छोटा सा रोल मिला। इस फिल्म से नवाज ने अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म के बाद उन्होंन मुन्नाभाई एमबीबीएस में एक जेब कतरे की भूमिका निभाई थी।
दो साल तक नहीं मिला कोई काम
मुन्नाभाई के बाद नवाज को 2 साल तक कोई काम नहीं मिला। इस दौरान वह अपना रूम चार लोगों के साथ शेयर किया करते थे। इस बीच नवाज काफी हताश हो गए थे, लेकिन उन्हें पता था कि एक दिन उनके काम की सराहना की जाएगी।
फिल्म न्यूयॉर्क से मिली पहचान
कुछ दिनों बाद उन्हें अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ और ‘देव डी’ में छोटे छोटे रोल मिले। लेकिन बाद में फिल्म न्यूयॉर्क मे उनके अभिनय के लिए उन्हें काफी सराहा गया।
गैंग्स ऑफ वसेपुर ने बदल दिया किस्मत का पासा
अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वसेपुर’ नवाजुद्दीन सिद्दीकी के जीवन का टर्निंग प्वाइंट थी। इस फिल्म ने नवाज की किस्मत का पासा बदल दिया। इस फिल्म के बाद नवाजुद्दीन फैजल के किरदार में दर्शकों के दिलों में बसने लगे। इसके बाद नवाज एक से एक सुपरहिट फिल्मों में नजर आए। आइए जानते हैं नवाजुद्दीन की फिल्मों के सुपरहिट डॉयलॉग्स।
मांझी द माउंटेन मैन
केतन मेहता द्वारा निर्देशित मांझी सच्ची घटना पर आधारित सुपरहिट फिल्म थी। इस फिल्म में दशरथ मांझी के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया था।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी के मशहूर डायलॉग
बजरंगी भाईजान – सलमान की फिल्म में मजबूत किरदार के साथ अपनी पहचान दर्ज कराने वाले नवाज का इस फिल्म में एक संवाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया था। ‘तू फिर बोली बेगम’
गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 – बाप का, दादा का, भाई का सबका बदला लेगा रे, तेरा फैजल, बदले की आग में जल रहा नवाज का ये किरदार फैजल, इस संवाद की वजह से लोगों में खासा मशहूर हुआ था।
मांझी, द माउंटेन मैन – ‘भगवान के भरोसे मत बैठिए, क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो’ फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी का किरदार दशरथ इसी डायलॉग के जरिए लोगों को दिलों में अपनी जगह बना गया था।
सेक्रड गेम्स – ‘कभी कभी लगता है कि अपुन ही भगवान है’। नवाजुद्दीन सिद्दीकी के किरदार गणेश गायतोंडे का ये डायलॉग लोगों के जेहन में आज भी काबिज है।
किक – पैदा तो मैं भी शरीफ हुआ था लेकिन अपनी शराफत से कभी बनी नहीं। खतरनाक विलेन औऱ नवाज के एक्टिंग स्किल ने इस किरदार को जीवंत बना दिया था।
