छोटे किसानों के लिए पेंशन की प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना फ्लॉप

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संजय सिंह, अमृत विचार। लघु एवं छोटी जोत वाले गरीब किसानों को बुढ़ापे में पेंशन की सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना शुरू होते ही दम तोड़ने लगी है। खराब प्लानिंग के कारण इस योजना को अपनाने लायक किसान ही नहीं मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री किसान …

संजय सिंह, अमृत विचार। लघु एवं छोटी जोत वाले गरीब किसानों को बुढ़ापे में पेंशन की सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना शुरू होते ही दम तोड़ने लगी है। खराब प्लानिंग के कारण इस योजना को अपनाने लायक किसान ही नहीं मिल रहे हैं।

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएमकेएमवाइ) सितंबर, 2019 में शुरू की गई थी। इसके तहत युवावस्था में मामूली मासिक योगदान देने वाले किसान अथवा उसकी पत्नी को 60 वर्ष का होने पर आजीवन 3000 रुपये की पेंशन का प्रावधान किया गया था। योजना में 18-40 वर्ष का कोई भी किसान प्रवेश पा सकता है।

जिसमें 18 वर्ष वाले किसान को हर महीने 60 रुपये, जबकि 40 वर्ष वाले किसान को 200 रुपये भरने का प्रावधान है। सरकार ने 2019-20 से 2021-22 तक के तीन वर्षों में 5 करोड़ किसानों को योजना के तहत कवर करने का मंसूबा बांधा था। लेकिन बहुत कम आवेदनों के कारण अब इस लक्ष्य को घटाकर 3 करोड़ किसान कर दिया गया है।

दरअसल, पहले दो सालों में केवल 21,20,310 किसान ही योजना को अपनाने के लिए सामने आए हैं। इसका कारण ये है कि देश में छोटी जोत वाले 18 से 40 आयु वर्ग के बहुत कम किसान हैं। छोटी जोत वाले किसानो की उम्र 40 वर्ष से ज्यादा है। ज्यादातर किसान 60-70 वर्ष के हैं और उनके अधिकांश बच्चे भी 40-50 वर्ष के हो चुके हैं। जबकि 40 से कम उम्र के बच्चों को अभी तक अपने मां-बाप से जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला है। चूंकि योजना में शामिल होने के लिए एक निश्चित रकबे का स्वामी होने की शर्त है, लिहाजा बहुत कम पात्र किसान योजना में भाग ले पा रहे हैं।

योजना के फ्लॉप होने की दूसरी वजह ये है कि योजना बनाते वक्त केंद्र के रणनीतिकारों ने सोचा था कि इसमें किसानों के मासिक योगदान का कुछ हिस्सा राज्य सरकारें वहन करेंगी। लेकिन हरियाणा को छोड़कर किसी राज्य ने हिस्सेदारी वहन करने में रुचि नहीं दिखाई है। इसलिए योजना के लक्ष्य में संशोधन करना पड़ा है।

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक स्कीम में कुछ अन्य खामियां भी महसूस की गई हैं। एक तो ये योजना इंश्योरेंस स्कीम नहीं, बल्कि एक पेंशन स्कीम है। दूसरे इसमें केवल 40 वर्ष तक का किसान ही ज्वाइन कर सकता है। और उसे बीस वर्ष तक योगदान करना ही है। यदि किसी कारण बीच में किसान की मृत्यु हो जाती है उसका तब तक का जो कार्पस बनेगा उसके आधार पर उसकी पत्नी को पेंशन मिलेगी, जो 3000 रुपये से कम भी हो सकती है। स्कीम के प्रति किसानों की कम रुचि का एक ये भी बड़ा कारण है। इसलिए अब किसान मानधन योजना में उपयुक्त संशोधन किया जा रहा है।

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