लखीमपुर-खीरी: जलमग्न हुआ दुधवा नेशनल पार्क, वन्य जीव मुश्किल में
पलियाकलां/लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। तराई में मानसून ने भी 15 दिन पहले ही दस्तक दे दी है। बारिश है कि रुकने का नाम नहीं ले रही। ऊपर से पार्क की लाइफ लाइन कही जाने वाली सुहेली नदी में भी पानी लगातार बढ़ोत्तरी पर है। ऐसे में दुधवा का जंगल जलमग्न हो गया है। नदी किनारे के …
पलियाकलां/लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। तराई में मानसून ने भी 15 दिन पहले ही दस्तक दे दी है। बारिश है कि रुकने का नाम नहीं ले रही। ऊपर से पार्क की लाइफ लाइन कही जाने वाली सुहेली नदी में भी पानी लगातार बढ़ोत्तरी पर है। ऐसे में दुधवा का जंगल जलमग्न हो गया है।
नदी किनारे के वन क्षेत्र में पानी ही पानी भरा है जिससे पार्क की बेशकीमती वन संपदा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं वन्य जीव भी मुश्किल में आ गए हैं । जानवर जंगल छोड़कर आबादी का रूख करने लगे हैं। पानी भर जाने से पेट्रोलिंग में भी दिक्कतें पेश आ रही है और जंगल की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है।
हर साल आने वाली बाढ़ दुधवा नेशनल पार्क में भी एक नई इबारत लिख जाती है। बाढ़ के सीजन में जंगल के कुछ क्षेत्र पानी से लबालब हो जाता है और यह पानी पूरे साल बना रहता है। जैसे-तैसे गर्मियों में पानी कम होता है। लेकिन इतने में फिर बारिश का सीजन आ जाता है। नतीजा साल भर स्थिति जस की तस बनी रहती है।
चूंकि इस साल बारिश और बाढ़ दोनों ही पहले आ गई है। मानसून ने भी पंद्रह दिन पहले ही दस्तक दे दी है। बारिश है कि रूकने का नाम नहीं ले रही। ऊपर से पार्क की लाइफ लाइन कही जाने वाली सुहेली और नकौआ नदी में भी पानी लगातार बढ़ोत्तरी पर है। ऐसे में दुधवा का जंगल जलमग्न हो गया है।
नदी किनारे के वन क्षेत्र में पानी ही पानी भरा है जिससे पार्क की बेशकीमती वन संपदा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं वन्य जीवों के सामने खाने के लाले पड़े हैं और जानवर जंगल छोड़कर आबादी का रूख करने लगे हैं जिससे उनकी जान को भी खतरा पैदा हो रहा है। पानी भर जाने से पेट्रोलिंग में भी दिक्कतें पेश आ रही है और जंगल की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है।
शारदा, मोहाना और सुहेली नदियों का पानी दुधवा नेशनल पार्क के सठियाना, गौरीफंटा वनकटी और दुधवा रेंज के इलाके में भरा हुआ है। वहीं किशनपुर सेंक्चुरी में उफनाई शारदा नदी ताल में मिल गई है। दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर सेंक्चुरी के करीब 270 हेक्टेयर क्षेत्र में बाढ़ का पानी है। उधर उत्तर खीरी वन प्रभाग के बेलरायां, संपूर्णानगर रेंज बाढ़ से प्रभावित हैं।
उत्तर खीरी वन प्रभाग को करीब 100 हेक्टेयर का नवीन पौधरोपण भी पानी में डूब गया है। शारदा के अलावा मोहाना और सुहेली नदियों में हर साल आने वाली बाढ़ से वन और वन्यजीवों को भारी नुकसान हो रहा है। पिछले 20-25 वर्षों में भारत नेपाल सीमा पर बाढ़ का प्रकोप ज्यादा बढ़ा है। इससे साल के पेड़ों के सूखने और गिरने से करोड़ों रुपये की वन संपदा को नुकसान पहुंचने की आशंका है। बाढ़ के चलते वन्यजीवों के आवास और चारे की समस्या भी पैदा हो गई है। वन्यजीव सुरक्षित स्थानों पर पलायन के प्रयास में शिकारियों के निशाने पर आ रहे हैं।
