कैंसर व डायबिटीज जैसी कई बीमारियों का ’काल’ है सहजन

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सहजन की फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। 100 ग्राम सहजन की पत्तियों में 5 ग्लास दूध के बराबर कैल्शियम होता है। इसके अलावा नींबू की तुलना में इसमें 5 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। सहजन एक …

सहजन की फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। 100 ग्राम सहजन की पत्तियों में 5 ग्लास दूध के बराबर कैल्शियम होता है। इसके अलावा नींबू की तुलना में इसमें 5 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है।

सहजन एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी है। इसे कई नामों जैसे मुनगा, सहजन, सइहन, मोरिंगा, सूरजने की फली आदि बोला जाता है। इसका बॉटेनिकल नाम ’मोरिगा ओलिफेरा’ है। सहजन का पौधा भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-कैंसर गुण से भरा होता है। पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण कुछ लोग इसे ’सुपरफूड’ भी कहते हैं।

खास बात यह है कि सहजन में कैंसर, डायबिटीज सहित 300 से ज्यादा बीमारियों के रोकथाम के गुण मौजूद हैं। पॉलीफेनोल्स अधिक मात्रा में पाएं जाने से इसमें कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। इसलिए इसका सेवन करने से आप कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से कोसों दूर रहेंगे। इसके फयादे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 100 ग्राम सहजन की पत्तियों में 5 ग्लास दूध के बराबर कैल्शियम होता है। इसके अलावा नींबू की तुलना में इसमें 5 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है।

इसकी पत्तियों में क्वरसेटिन और क्लोरोजेनिक एसिड नाम के पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट होते है। जो शरीर की सूजन, कोलेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ-साथ पेट संबंधी समस्याओं से भी निजात दिलाते है। मतलब साफ है इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। इसकी कच्ची-हरी फलियां सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाती हैं। इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक होते हैं। वैवाहिक जीवन की खुशियां बनाए रखने के लिए सहजन का सूप कारगर है।

बता दें, सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बनाकर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। आमतौर पर इसका सेवन ग्रामीण इलाकों में अधिक देखने को मिलता है। दक्षिण भारत में पाए जाने वाले सहजन के पेड़ से साल भर फलियां निकलती हैं।

वहीं, उत्तर भारत में इसका पेड़ महज एक बार ही फलियां देता है। स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदनाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है।

सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है।

साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।

मोटापा
मोटापा और वजन कम करने में सहजन काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते हैं, जिससे मोटापे या वजन की परेशानी से लड़ने में मदद मिल सकती है।

डायबिटीज
सहजन में मौजूद गुण डायबिटीज की समस्या के लिए गुणकारी साबित हो सकते हैं। इसके सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। सहजन में अधिक मात्रा में प्रोटीन, हाइड्रेटिंग और डिटॉक्सीफाइंग गुण पाए जाते है जो स्किन और बालों को पोषण देने का काम करते है। सहजन की पत्तियां और इसमें अदरक डालकर बनाई गई चाय ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करती है।

हड्डियां होंगी मजबूत
सहजन हड्डियों की देखभाल और उन्हें स्वस्थ रखने का काम करता है। हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए सहजन का सेवन उपयोगी है। क्योंकि इसकी पत्तियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत माना जाता है, जो आपकी हड्डियों के लिए जरूरी हैं। इसके साथ ही सहजन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी की बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

खून को रखता है साफ
सहजन की पत्तियों में मौजूद गुण ब्लड को डिटॉक्सिफाई यानि खून की सफाई भी आसानी से कर सकता हैं। यानी रोजाना सहजन की पत्तियों का रस पी सकते हैं। इससे शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थ यूरिन के रास्ते से बाहर निकल जाते हैं।

अल्सर करता है ठीक
सहजन या सहजन की पत्तियों का सेवन करने से पेट से संबंधी समस्याओं दूर होती हैं। सहजन का सेवन करने से पेट दर्द और अल्सर से बचाव किया जा सकता है। इसमें मौजूद गुण अल्सर के जोखिम से बचाव करने में हमारी मदद करते हैं। इसमें मौजूद फाइबर हमारी आंतों में जमा कब्ज या किसी भी हानिकारक पदार्थ को आसानी से दूर कर सकता है।

एनीमिया को करता है दूर
सहजन एनीमिया जैसी बीमारी को भी दूर करने में मदद करता है। सहजन की पत्तियों का सेवन करने से एनीमिया यानी लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से बचाव के लिए भी कर सकते हैं। क्योंकि सहजन में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से शरीर में मौजूद खून में हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार हो सकता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद मिल सकती है।

वजन कम करने में करें मदद
सहजन की चाय में अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर से एक्ट्रा फैट हटाने में मदद करते है। जिससे आपका वजन तेजी से कम होता है।

अनिद्रा से दिलाएं निजात
सहजन में अधिक मात्रा में प्रोटीन और ट्रिप्टोफैन पाया जाता है जो शरीर के रिलैक्स हार्मोन सेरोटोनिन का उत्पादन करने में मदद करता है। जिसके आपका मूड सिं्वग, थकान, अनिद्रा और चिंता की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

सहजन की चाय
सहजन की पत्तियों की चाय दो तरह से बनाई जा सकती है। पहला तरीके से सहजन की पत्तियों को सुखाकर उसका पाउडर बना लें। इसके बाद इसे मखमल या कॉटन के कपड़े से छान लें। यह कैफीन मुक्त सहजन का पाउडर स्वाद में कड़वा-मीठा होता है और इसे प्रतिदिन 5 ग्राम से अधिक नहीं खाना चाहिए। अब एक पैन में पानी डालें और इसमें थोड़ी सहजन का पाउडर डालकर उबालें। इसके बाद इसे छान लें और शहद मिलाकर सर्व करें। दूसरा तरीका अगर आप सहजन की पत्तियों का पाउडर नहीं बनाना चाहते है तो इसकी पत्तियों से भी सीधे चाय बना सकते हैं। इसके लिए एक पैन में 4 कप पानी डालें। और उसमें 10-11 सहजन की पत्तियां धोकर डालें। इसके बाद इसमें थोड़ा सा कद्दूकस करके अदरक डालें। इसके बाद इसे मीडियम आंच में 5-7 मिनट पकने दें। फिर इसे छान लें और थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करें। आप इस चाय को दिन में दो बार पी सकते है।

कुपोषण होगी दूर
इसके सेवन से कुपोषण की समस्या दूर की जा सकती है। क्योंकि इस पौधे की पत्तियां, टहनियां, तना, जड़ और गोंद सभी बहुत उपयोगी होते हैं। अति कुपोषित बच्चों को सहजन की पत्तियां रामबाण है। इसे गर्भवती महिलाओं को देने से उनके होने वाले बच्चों में कैल्शियम की मात्रा भरपूर मिलती है और होने वाला शिशु तंदुरस्त होता है।

सिरदर्द दूर करें
सहजन के पत्तों का पेस्ट घाव पर लगाया जाता है और इसे सब्जी के रूप में खाने से सिर दर्द में राहत मिलती है। साथ ही सहजन के सेवन से आंखों की रोशनी तेज होती है। सहजन की फली का सेवन करने से गर्भवतियों को डिलिवरी के वक्त ज्यादा दर्द नहीं होता है

सूप और जलजीरा
वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) ने अनुसंधान कर सहजन का सूप व जलजीरा विकसित किया है। संस्थान के निदेशक डा. जगदीश सिंह व डा. सुधीर सिंह का कहना है कि सहजन के इस सूप व जलजीरा के चूर्ण को कमरे के तापक्रम पर 6-8 माह तक संरक्षित रखा जा सकता है। इसकी गुणवत्ता भंडारण के दौरान प्रभावित नहीं होगी। सूप बनाने में इसकी सहजन की पत्तियों एवं फलों को प्रशीतन (ड्रायर) से सूखाकर उसका चूर्ण बनाया जाता है। इन पत्तियों एवं फली के चूर्ण में निर्धारित मात्रा में प्रोटीन चूर्ण, परिवर्तित स्टार्च, मक्के का आटा, काली मिर्च व जीरा के चूर्ण को मिलाकर 21-23 प्रतिशत प्रोटीन युक्त सहजन का सूप बन जाएगा। बस इसे एक ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर मिश्रण को 2-5 मिनट उबाला जाएं तो सूप तैयार हो जाएगा।

प्रोटीन युक्त स्वास्थ्य वर्धक शीतल पेय
सुखाई सहजन की पत्तियों के चूर्ण में निर्धारित मात्रा में व्हे (छेना-पनीर फाडऩे वाला तत्व) प्रोटीन चूर्ण, चीनी का चूर्ण, जलजीरा का पूर्ण व सइाट्रिक अम्ल (छेना का पानी या नीबू) प्रोटीन युक्त स्वास्थ्य वर्धक शीतल पेय बना सकते हैं। 150 ग्राम मात्रा को एक लीटर ठंडे पानी में मिलाकर पी सकते हैं। जलजीरा का यह सूर्ण सामान्य तापक्रम में 6-8 माह तक संरक्षित कर सकते हैं, जिसकी गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी।

हार्ट के लिए बेहतर
सहजन की पत्तियों के फायदे आपके दिल को खराब कोलेस्ट्रॉल के प्रभाव से बचा सकते हैं। इन पत्तियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकती है जिससे हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।

बीपी को रखे कंट्रोल में
सहजन की पत्तियों में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है जो रक्तचाप को कम करने में प्रभावी होता है. पोटैशियम वैसोप्रेसिन (अंेवचतमेेपद) को नियंत्रित करता है और यह हार्मोन रक्तवाहिकाओं के कामकाज को प्रभावित करता है. सहजन की पत्तियों के सेवन से उच्च रक्तचाप रोगियों को फायदा मिलता है.

कैंसर के खतरे को करता है कम
कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए सहजन की पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है। सहजन की पत्तियों में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, जस्ता और अन्य सक्रिय घटक होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं और फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को कम करने में सहायक हैं।

लीवर स्वस्थ रखे
सहजन के पत्तों के रस में सिलिमारिन जैसे घटक होते हैं जो लिवर एंजाइम फंक्शन को बढ़ाते हैं. यह घटक यकृत को भी प्रारंभिक क्षति से भी बचाता है जो उच्च वसा के सेवन या यकृत रोग के कारण होती है।

पथरी
सहजन के पत्ते की सब्जी के नियमित सेवन से गुर्दे की पथरी में राहत मिलती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व गुर्दे की पथरी को तोड़ने और मूत्र के माध्यम से इसे बाहर निकालने में सहायक होते हैं।

ब्रेन हेल्थ के लिए बढ़िया
इसमें आयरन, जस्ता, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य पदार्थ होते हैं जो मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायक होते हैं। ओमेगा-3 मस्तिष्क की स्मृति को बेहतर बनाने में सहायक होता है। सहजन के पत्तों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को भी कम करते हैं।

सहजन को आहार में कैसे शामिल करें?
सहजन के बीज और पत्तियों का इस्तेमाल तीन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। पत्तियों को कच्चा, पाउडर या जूस के रूप में सेवन किया जा सकता है। सहजन के पत्तियों को पानी में उबालकर इसमे शहद और नींबू मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा सहजन का इस्तेमाल सूप और करी में भी हो सकता है। नियमित एक चम्मच या लगभग 2 ग्राम सहजन की खुराक लेनी चाहिए। डायबिटीज रोगियों को सही खुराक जानने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

  • सुरेश गांधी

 

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