बरेली: नेकपुर ही नहीं कई क्षेत्रों में कोटेदार डकार रहे गरीबों का राशन
बरेली, अमृत विचार। नेकपुर सहकारी समिति की आड़ में राशन डकारने के खेल का पर्दाफाश तो शुक्रवार को पूर्ति विभाग की टीम ने कर दिया और रिपोर्ट भी दर्ज की गई। लेकिन घपला करने वाला कोटेदार अब भी फरार है। पूर्ति विभाग ने रिपोर्ट दर्ज कराकर अपना पल्ला झाड़ लिया और सारा दारोमदार पुलिस की …
बरेली, अमृत विचार। नेकपुर सहकारी समिति की आड़ में राशन डकारने के खेल का पर्दाफाश तो शुक्रवार को पूर्ति विभाग की टीम ने कर दिया और रिपोर्ट भी दर्ज की गई। लेकिन घपला करने वाला कोटेदार अब भी फरार है। पूर्ति विभाग ने रिपोर्ट दर्ज कराकर अपना पल्ला झाड़ लिया और सारा दारोमदार पुलिस की जांच पर सौंप दिया। दूसरी तरफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद शनिवार को भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।
नेकपुर मामले में 28 कार्ड धारकों ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी। डीएम के निर्देश पर जांच करायी गयी। तब कालाबाजारी का मामला खुलकर सामने आया। डीएम के निर्देश पर ही कोटेदार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। जबकि विभागीय अधिकारियों की मदद से चलने वाले सरकारी राशन के घपले का खेल खत्म नहीं हुआ है। अधिकारियों के संज्ञान में मामला आने के बाद भी जांच कराने के नाम पर उसे ठंठे बस्ते में डाल दिया जाता है।
कलेक्ट्रेट में बनाए गए कंट्रोल रूम में भी सबसे ज्यादा शिकायतें कालाबाजारी की आईं। बीते दिनों सरकारी गेहूं-चावलों को खाद की बोरियों में भरकर बेची गया। उसके बाद भी सरकारी या निजी अनाज की पहचान नहीं हो सकी। तत्कालीन डीएसओ के पास शिकायतें पहुंचने के बावजूद वे अंजान बनी रहीं। वहीं पूर्ति निरीक्षक भी कोटेदारों के साथ सांठगांठ में लगे रहते हैं। सूत्रों का कहना है कि सारा खेल पूर्ति निरीक्षकों द्वारा रखे गए निजी गुरगों के जरिए किया जाता है। पूर्ति निरीक्षक को सरकारी एप के जरिए दुकानों का निरीक्षण करना होता, उसकी जगह कई क्षेत्रों में निजी गुर्गे कोटेदारों की दुकानों का निरीक्षण कर विभागीय अधिकारी और कोटेदारों के बीच सांठगांठ की कड़ी का काम करते हैं।
समायोजन नहीं होने से कोटेदार काट रहे मौज
बीते दिनों खाली दुकानों के धीमे समायोजन का मुद्दा सीडीओ की बैठक में उठा था। सवाल करने पर अधिकारी पत्ते टटोलने लगे थे। खाली दुकानों का आवंटन नहीं कराए जाने पर भी फटकार लगी थी। दूसरी तरफ फूड कमिश्नर के आदेश के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 4000 यूनिट और शहर क्षेत्र में 3000 यूनिट तक ही दुकानों को संचालित किया जाना है। इससे अधिक यूनिट होने पर कार्डों को पास की दुकान में मर्ज किया जाता है लेकिन कोटेदारों से सांठगांठ करके विभागीय अधिकारी का बहाना यह होता है कि जब तक कार्ड धारक नहीं चाहेगा, दूसरी दुकान में मर्ज नहीं किया जा सकता। क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि कार्डों का समायोजन कार्ड धारक की इच्छा पर निर्भर है।
