भाषिक बहुलता
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मध्यकालीन भारत में सत्वग्राही ‘गंगाजमुनी’ के अग्रदूत थे अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना
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By Amrit Vichar
रहीम ने सांस्कृतिक और भाषिक बहुलता तथा सत्ता, शास्त्र और लोकजीवन के संगम से ‘तौहीद’(अद्वैतवाद) की एक अद्भुत अलख जगाई थी। अजीब माजरा है की दिल, दिमाग़, और बुनियादी व्यवहार में भी, दुनिया के सभी अच्छे लोग एक से पाए जाते हैं, आज के ही नहीं, पहले के भी और शायद आगे आनेवाले समय में …
