Scorching Afternoon

2 June Special: दो जून की रोटी के लिये जद्दोजहद, तपती दोपहरी में शहर की सड़कों पर कुछ ऐसा दिखा लोगों का संघर्ष

बाराबंकी, अमृत विचार। इतनी महंगाई है कि बाजार से कुछ लाता हूं, अपने बच्चों में उसे बांट के शर्माता हूं। किसी शायर की यह लाइनें वास्तविकता के कितने करीब हैं। आज तारीख है दो जून। बचपन से एक कहावत सुनते...
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