बरेली: रामगंगा किनारे बालू के टीलों में उगने लगा ईको टूरिज्म

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बरेली, अमृत विचार। 1 जनवरी को जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर रामगंगा के किनारे बालू के टीलों पर जिस वन ग्राम्य मंझा की नींव रखी गई, वहां अब ईको टूरिज्म उगता नजर आ रहा है। बरेली में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की सोच के साथ मंझा में ऐसा खूबसूरत जंगल बसाया जा रहा …

बरेली, अमृत विचार। 1 जनवरी को जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर रामगंगा के किनारे बालू के टीलों पर जिस वन ग्राम्य मंझा की नींव रखी गई, वहां अब ईको टूरिज्म उगता नजर आ रहा है। बरेली में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की सोच के साथ मंझा में ऐसा खूबसूरत जंगल बसाया जा रहा है। कई पद्धतियों पर बसाए जा रहा जंगल करीब पांच साल के बाद बड़ा पर्यटन स्थल बनेगा और लोग प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के साथ सरोवर, लैंडस्केप, वॉकिंग ट्रैक के साथ वोटिंग का मजा भी ले सकेंगे।

अमरूद, जामुन, नीम और औषधीय पौधे के दो से तीन हेक्टेयर में बाग तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ डोहरा रोड, मिनी बाईपास व कैंट क्षेत्र से ट्रांसलोकेट किए 652 पेड़ जल्द मंझा में हरियाली बढ़ाएंगे। 154 से अधिक पेड़ों में कोंपलें फूटने के साथ पत्तियां भी आने लगी हैं।

मंगलवार को जिलाधिकारी नितीश कुमार ने क्यारा ब्लाक में वन्य ग्राम मंझा का निरीक्षण किया। उन्होंने हस्तांतरित कर प्रतिरोपित किए पेड़ों की स्थिति देखी। जिलाधिकारी ने 5 जून 2021 को पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह अनूठा निर्णय लिया कि डोहरा रोड, बरेली के अन्य स्थानों पर जहां कहीं भी निर्माण कार्य के लिए वृक्षों को काटने की आवश्यकता पड़ रही है, उनको काटा न जाए, बल्कि उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए।

इसके लिए क्यारा ब्लाक के वन्य ग्राम मंझा को चुना गया। प्रथम चरण में 25 दिनों में ही 500 पेड़ों को ग्राम्य वन मंझा में प्रतिरोपित किया है। ट्रांसलोकेट कर लगाए गए पेड़ भी जंगल के जैसा स्वरूप ले रहे हैं। यहां चिड़ियां भी आने लगी हैं। बता दें कि तत्कालीन एसडीएम सदर आईएएस ईशान प्रताप सिंह ने इस भूमि से अतिक्रमण हटवाया था।

तीन पीपल के पेड़ों की दिख रही हरी भरी काया
रेतीली जमीन पर बसाए जा रहे वन ग्राम्य में तीन पीपल के पेड़ों की हरी भरी काया दूर से दिख रही है। वृक्षों का जीवन बचाते हुए नए स्थल पर प्रतिरोपण का जो अभिनव प्रयोग किया गया, वह सफल होता प्रतीत हो रहा है। जिलाधिकारी का मानना है कि भविष्य में यहां पर एक पर्यटन स्थल विकसित होगा, क्योंकि जिस रामगंगा के किनारे कभी बालू के टीलों के सिवा एक भी पेड़ नहीं था। वहां 135 हेक्टेयर क्षेत्र में धीरे-धीरे वन अपना आकार लेता दिखाई दे रहा है।

मियांवाकी में टॉप, मिडिल, अंडर स्टोरी, हर्बस के साथ ग्राउंड फ्लोरा भी हो रहा तैयार
मंझा गांव में रामगंगा किनारे विकसित किये जा रहे ग्राम्य वन में 10 हेक्टेयर क्षेत्र में मियांवाकी पद्धति पर पौधरोपण कर वन तैयार किया जा रहा है। 10 हेक्टेयर क्षेत्र में 35000 पौधों को रोपा गया। लगभग 25000 पौध बुआन तैयार हो रही है। मियांवाकी क्षेत्र में कुछेक 10.12 फीट ऊंचाई के पौधों को भी 10×10 मीटर की दूरी पर रोपित कर यह प्रयास किया जा रहा है। मियांवाकी में टॉप, मिडिल व अंडर स्टोरी, हर्बस के साथ साथ ग्राउंड फ्लोरा भी तैयार हो।

उद्यान विभाग 10 हेक्टेयर और ग्राम्य विकास विभाग 10 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण करा रहा है। वन्य ग्राम मंझा में उद्यान विभाग को आवंटित 10 हेक्टेयर भूमि पर 4 हेक्टेयर में अमरूद, 2 हेक्टेयर में नींबू, 2 में हेक्टेयर जामुन लगाया गया है। शोभाकारी वृक्षों के लिए किनारे-किनारे चार लाइन गुलमोहर की लगाई गई है। शेष क्षेत्रफल पर लेमन ग्रास, अलोवेरा, गुलाब रोपित किया जाएगा। पूरे क्षेत्र की कटीले तारों से तारबंदी की गई है। इस क्षेत्र में अब तक 203700 पौधे रोपे जा चुके हैं।

  • 203700 पौधे लगाए जा चुके हैं मंझा में
  • 5 जून 2021 को पर्यावरण दिवस हुई थी शुरुआत
  • 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपे गए हैं पौधे
  • 135 हेक्टेयर क्षेत्र में पांच साल में तैयार होगा खूबसूरत जंगल

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