हाई कोर्ट: कृषि बाजारों में ‘पल्लेदारों’ की स्थिति पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड को सिर पर बोझा ढोने वाले या ‘पल्लेदारों’ की दुर्दशा और काम करने की स्थिति को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किये। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने राष्ट्रीय हमाल पंचायत एवं अन्य असंगठित कामगार …

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड को सिर पर बोझा ढोने वाले या ‘पल्लेदारों’ की दुर्दशा और काम करने की स्थिति को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किये। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने राष्ट्रीय हमाल पंचायत एवं अन्य असंगठित कामगार यूनियन की याचिका पर नोटिस जारी किया है।

अदालत ने कृषि उपज बाजार समिति, आजादपुर को भी नोटिस जारी किया है। इस मामले में अब 16 फरवरी को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता यूनियन का दावा है कि उसके सदस्यों में मुख्य रूप से फलों और सब्जियों के लिए एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार आजादपुर मंडी में काम करने वाले श्रमिक शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि पल्लेदार मुख्य रूप से कृषि उपज को उतारने और चढ़ाने का काम करते हैं और अधिकारियों ने 1980 से ही उनके पारिश्रमिक में संशोधन नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों की आधिकारिक पहचान स्थापित करने के लिए लाइसेंस ही एक मात्र दस्तावेज है और अधिकारी इन पल्लेदारों को वह भी नहीं जारी कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि पल्लेदार दिल्ली के कृषि बाजारों में मुख्य रूप से बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं जो कि संविधान के अनुच्छेद 23 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया कि उनके पास कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं है और कठिन श्रम वाले इस काम से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। राज्य या इसके अधिकारियों द्वारा इनकी कोई मदद नहीं की जाती है।

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