बरेली: मां ने अपनाने से ठुकराया, किस्मत से विदेश की गोद मिली

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बरेली, अमृत विचार। 102 साल पुरानी हो चुकी वार्न बेबी फोल्ड संस्था ने उन बच्चों को मां की ममता की छांव दी है, जिन बच्चों को कभी मां का प्यार नसीब नहीं हुआ। मां ने जन्म देने के बाद इन बच्चों को अपनाने से ही ठुकरा दिया लेकिन वार्न बेबी फोल्ड संस्था ऐसे बच्चों को …

बरेली, अमृत विचार। 102 साल पुरानी हो चुकी वार्न बेबी फोल्ड संस्था ने उन बच्चों को मां की ममता की छांव दी है, जिन बच्चों को कभी मां का प्यार नसीब नहीं हुआ। मां ने जन्म देने के बाद इन बच्चों को अपनाने से ही ठुकरा दिया लेकिन वार्न बेबी फोल्ड संस्था ऐसे बच्चों को जीवनदान देने के साथ उनका भविष्य भी लिख रही है। सरकारी मदद के बिना संचालित होने वाली संस्था की गोद में पलने वाले 25 बच्चों को मां की छांव मिली है। कारा बेवसाइट के जरिए अपनों से ठुकराए बच्चों को विदेशी गोद भी मिली है। कनाडा, अमेरिका और दुबई, स्पेन के दंपत्ति ने भी कारा के जरिए बच्चों को गोद लिया और अपने साथ उन्हें विदेश ले गए।

पोस्टमार्टम हाउस वाले रोड पर वार्न बेबी फोल्ड की स्थापना शहर में 1919 में हुई थी। तब से यहां पर लावारिश मिलने वाले बच्चों को रखा जाता है। यहीं से बच्चों को गोद लेने की अंतिम प्रक्रिया पूरी की जाती है। बच्चों को गोद लेने के लिए केंद्र सरकार की ऑनलाइन वेबसाइट कारा है, जिस पर आवेदन किया जाता है।

आंकड़ों के अनुसार वार्न बेबी फोल्ड से पिछले तीन साल में 25 बच्चों को गोद दिया गया है। जिसमे से 6 से अधिक बच्चों को विदेश भेजा जा चुके हैं। अधीक्षका वार्न बेबी फोल्ड पी. एडमंड ने बताया कि इस साल चार बच्चों को विदेशी दंपति ने गोद लिया है। जिसमे से 2 कनाडा, एक स्पेन, और एक को न्यूयार्क भेजा गया है। 2020 में भी एक बच्चे को दुबई और एक को अमेरिका के दंपति ने गोद लिया था।

शादियां भी कराती है संस्था
वार्न बेबी फोल्ड में रहने वाले बच्चे जब बालिग हो जाते हैं तो वह अपनी मर्जी से कहीं जा सकते हैं लेकिन जब तक वह बालिग नहीं हो जाते हैं। उनको संचालिका के निर्देशन में रहना होता है। इसके बाद अधिकांश बच्चे ट्रेनिंग करने के बाद नौकरी पा लेते हैं लेकिन जिन बच्चों को नौकरी नहीं मिलती है और वह संस्था में रहते हैं तो संस्था उनकी शादी भी कराती है।

सरकार से नहीं मिलती है मदद
वार्न बेबी फोल्ड में सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिलती है। अधीक्षिक के अनुसार वार्न बेबी फोल्ड में रह रहे बच्चों को खर्च भी स्वंयसेवी संस्था उठा रही है।

वार्न बेबी फोल्ड में बच्चों की देखभाल की जाती है। उसके बाद सरकार द्वारा संचलित कारा के माध्यम से उन्हे गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होती है। इस साल चार बच्चों को विदेश के दंपत्ति गोद ले गए है। पिछले साल भी दो बच्चों को विदेश भेजा गया था। -पी. एडमंड, अधीक्षक वार्न बेबी फोल्ड

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