बरेली: गलत ऑपरेशन से गई आंख की रोशनी, डॉक्टर पर ढाई लाख का जुर्माना
विधि संवाददाता, बरेली, अमृत विचार। आंख का ऑपरेशन करवाने के बाद मरीज की आंख की रोशनी चली गयी। पट्टी खुलने के बाद उसे कुछ भी दिखायी देना बंद हो गया। रिछा के मोहल्ला गौटिया निवासी वकील अहमद ने उपभोक्ता आयोग में न्याय की गुहार लगायी थी, जिस पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम की …
विधि संवाददाता, बरेली, अमृत विचार। आंख का ऑपरेशन करवाने के बाद मरीज की आंख की रोशनी चली गयी। पट्टी खुलने के बाद उसे कुछ भी दिखायी देना बंद हो गया। रिछा के मोहल्ला गौटिया निवासी वकील अहमद ने उपभोक्ता आयोग में न्याय की गुहार लगायी थी, जिस पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम की दो सदस्यीय पीठ ने जनकपुरी स्थित कैलाश आई एवं जनरल अस्पताल के निदेशक व ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक डॉ आशीष गंगवार को उपभोक्ता को 250000 रुपये का 30 दिनों के अंदर मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।
30 दिनों के अंदर भुगतान न किये जाने की स्थिति में परिवाद दायर करने की तिथि से 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज वादी को अदा करने का आदेश दिया है। वादी के अधिवक्ता मुहम्मद खालिद जीलानी ने बताया कि वकील अहमद ने 5 नवम्बर 2015 को 6500 रुपये नगद भुगतान कर अपनी बायीं आंख का ऑपरेशन कैलाश आई हॉस्पिटल में डॉ आशीष गंगवार से करवाया था। डॉक्टर की लापरवाही से आंख का ऑपरेशन पूरी तरह विफल रहा जब पट्टी खोली गयी तो कुछ भी दिखायी नहीं दिया।
इस पर सीएमओ से शिकायत की गयी। सीएमओ के द्वारा वरिष्ठ नेत्र सर्जन की कमेटी गठित कर जांच करायी गयी जिसमें डॉक्टर को दोषी पाया गया। सीएमओ ने उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल लखनऊ रजिस्ट्रार को डॉक्टर के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की संस्तुति कर दी लेकिन काउंसिल ने मात्र चेतावनी देकर ही छोड़ दिया कोई मुआवजा नहीं दिलवाया। तब उपभोक्ता आयोग में वर्ष 2018 में परिवाद दायर किया था।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, यूपी मेडिकल काउंसिल व सीएमओ द्वारा गठित वरिष्ठ नेत्र सर्जन की कमेटी ने डॉक्टर को दोषी तो माना लेकिन चेतावनी देकर छोड़ दिया। उपभोक्ता आयोग से वादी को न्याय मिला ऑपरेशन मे लापरवाही के कारण मरीज के अंधे होने पर नेत्र सर्जन को जिम्मेदार मानकर ढाई लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने और 5 हजार मुकदमे का खर्च देने के आदेश दिये गये हैं। जिसे वे तीस दिन के भीतर अदा करेंगे वरना मुकदमा दायर करने से भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत ब्याज देना होगा।‘‘ -मुहम्मद खालिद जीलानी (वादी एवं उपभोक्ता मामलो के वरिष्ठ अधिवक्ता)
