पूर्व राजदूत ने नजीबाबाद किले की कायाकल्प का उठाया बीड़ा, नवाब नजीबुद्दौला ने 400 साल पहले पत्थरगढ़ किले का कराया था निर्माण
नजीबाबाद/ बिजनौर/अमृत विचार। नवाब नजीबुद्दौला द्वारा 400 साल पहले बनाये गये किले की कायाकल्य को लेकर आयरलैण्ड के पूर्व राजपूद नगर निवासी नरेश अग्रवाल के पुत्र संदीप अग्रवाल ने रिटायरमेंट के बाद ऐतिहासिक धरोहर की कायाकल्प का बीडा उठाया है। जिसको लेकर किले के प्रागण में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सास्कृतिक कार्यक्रम …
नजीबाबाद/ बिजनौर/अमृत विचार। नवाब नजीबुद्दौला द्वारा 400 साल पहले बनाये गये किले की कायाकल्य को लेकर आयरलैण्ड के पूर्व राजपूद नगर निवासी नरेश अग्रवाल के पुत्र संदीप अग्रवाल ने रिटायरमेंट के बाद ऐतिहासिक धरोहर की कायाकल्प का बीडा उठाया है। जिसको लेकर किले के प्रागण में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सास्कृतिक कार्यक्रम के साथ-साथ उपेक्षा का शिकार किले पर प्रकाश डाला गया। जिसमें प्रशासनिक अधिकारी एवं राजनेताओं के साथ-साथ समाजसेवियों ने भाग लिया।
नगर के पत्थरगढ़ किले को लोग सुल्ताना डाकू के किले के नाम से भी जानते हैं। शनिवार को किला के प्रांगण में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें उपेक्षा के शिकार इस किले को ऐतिहासिक किला बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए समाजसेवियों और आमजन को जागरूक किया गया। आयरलैण्ड के पूर्व राजदूत एवं नगर निवासी संदीप अग्रवाल ने बताया कि लोग पर्यटन के लिए नजीबाबाद से गुजरकर कोटद्धार एवं लैंसीडाउन जैसे क्षेत्रों में जाते हैं। जबकि नगर में अनेकों स्थान ऐतिहासिक हैं। जिनका सौन्दर्यीकरण पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। जिससे नगर की ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने में भी आसानी होगी। इस मुहिम की सराहना करते हुए नागरिकों ने सहयोग का आश्वासन दिया।
एसडीएम मनोज कुमार सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रशासनिक स्तर पर किले की विरासत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने नागरिकों से साफ-सफाई व्यवस्था का भी विशेष ख्याल रखने का आह्वान किया। इस मौके पर पूर्व भाजपा सांसद राजा भारतेन्दु सिंह, क्षेत्राधिकारी गजेन्द्र पाल सिंह, राजीव अग्रवाल, पूर्व चैयरमेन मौअज्जम खान, डा राखी अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
विचित्र वास्तुकला का प्रतीक है पत्थरगढ़ का प्राचीन किला
नजीबाबाद के पत्थरगढ़ किले की कमलनुमा खस्ताहाल आकृति और सुरक्षा के लिए बनाए गए छिद्र सरकारी उपेक्षा के कारण बदहाल है। पत्थरगढ़ का किला नजीबाबाद के नवाब नजीबुद्दौला की कलात्मक इमारतों में से एक है। नगर के नवाब नजीबुद्दौला ने नजीबाबाद को बसाया था। जिसमें नवाबी इमारतों की कलात्मक कारीगरी उनके वास्तुकला प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। नवाबी इमारतों में बारादरी, चार मीनार, महल सराय, नवाब नजीबुद्दौला का मकबरा और पत्थरगढ़ का किला प्रमुख इमारतें हैं।
किला स्थित तालबा की आज तक नहीं मापी जा सकी गहराई
करीब 40 एकड़ भूमि में बने किले के चारों ओर चौड़ी दीवारें वक्त की मार के साथ क्षतिग्रस्त हो रही हैं। मरम्मत के नाम पर पुरातत्व विभाग खानापूर्ति करता है। किले के भीतर एक तालाब है, इसकी गहराई कितनी है, कह पाना मुश्किल है। जानकार बताते हैं कि सात दशक पूर्व तालाब के जलाशय से पेयजल आपूर्ति योजना बनी थी। पर्यटन की दृष्टि से किला उपयोगी साबित हो सकता है। आकर्षक स्टेडियम निर्माण और कृषि विकास योजना भी किला परिसर में लागू की जा सकती है।
अभेद किले के बाहर बनीं हैं कई सुरक्षा चौकियां
माना जाता है कि नवाब नजीबुद्दौला ने अपने सुरक्षा कर्मियों के लिए किला बनवाया था। किले के बाहर सुरक्षा चौकियां बनी थीं, जो ध्वस्त हो चुकीं हैं। किले के विशाल मुख्यद्वार के ऊपर अष्टभुजा कार कमल की पंखुड़ीनुमा आकृति आज भी आकर्षण का केंद्र है। किले के ऊपरी भाग से दुश्मन पर नजर रखने, जरूरत पड़ने पर उससे मोर्चा लेने के लिए दीवारों में जगह-जगह आयताकार नुमा ऐसे छेद हैं, जिनसे एक ही स्थान से किले के मुख्यद्वार के नीचे से दूरदराज तक निगाह रखने के साथ हमला किया जा सके।
किले की चौड़ी दीवारों पर दौड़ाई जा सकती है कार
किले की दीवारों की चौड़ाई लगभग नौ फुट है, जिस पर कार भी दौड़ाई जा सकती है। मुख्यद्वार और उसके आसपास की दीवारों की भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा हाल ही के वर्षों में मरम्मत कराई है। किले का दूसरा द्वार गांव महावतपुर दिशा में है। किला भवन और चारों ओर की दीवारें खस्ताहाल हैं। अगर इसका सौंदर्यीकरण करा दिया जाये तो पय पर्यटन के रूप में विकसिल किया जा सकता है।
